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“बिना देरी के हो एक्सिस-मैक्स लाइफ डील की जांच”, दिल्ली हाई कोर्ट ने RBI और SEBI को दिए आदेश

सुब्रमण्यम स्वामी ने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के शेयरों में लेनदेन के माध्यम से एक्सिस पर अनुचित लाभ कमाने का आरोप लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था.

delhi high court

दिल्ली हाई कोर्ट.

एक्सिस-मैक्स लाइफ डील की जांच बिना देरी के पूरा करने का दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश दिया है. कोर्ट ने आरबीआई और सेबी से कहा है कि बिना देरी के इस डील की जांच पूरी करें. कोर्ट ने यह आदेश बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है और इसके साथ ही कोर्ट ने सुब्रमण्यम स्वामी की ओर से दायर जनहित याचिका का निपटारा कर दिया है.

सुब्रमण्यम स्वामी ने एक्सिस बैंक-मैक्स लाइफ डील में लगभग 5,100 करोड़ के घोटाले का आरोप लगाया है. कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने कहा कि नियामक इस मामले पर विचार कर रहा है और उन्हें जल्द से जल्द जांच पूरी करनी चाहिए. अदालत ने कहा इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि क्षेत्रीय विनियामक अर्थात सेबी और आरबीआई इस विवाद से घिरे हुए हैं, यह न्यायालय विनियामकों को यथाशीघ्र कानून के अनुसार जांच पूरी करने के निर्देश के साथ रिट याचिका का निपटारा करता है. यदि कोई और कार्रवाई करने की आवश्यकता है, तो वह कानून के अनुसार की जाएगी.

क्या है पूरा मामला?

सुब्रमण्यम स्वामी ने मैक्स लाइफ इंश्योरेंस के शेयरों में लेनदेन के माध्यम से एक्सिस पर अनुचित लाभ कमाने का आरोप लगाते हुए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था. याचिका के अनुसार, मैक्स लाइफ इंश्योरेंस और मैक्स फाइनेंशियल सर्विसेज में घोर धोखाधड़ी हुई है, जिसके तहत उनके शेयर धारक एक्सिस बैंक लिमिटेड और इसकी समूह कंपनियों एक्सिस सिक्योरिटीज लिमिटेड और एक्सिस कैपिटल लिमिटेड को गैर-पारदर्शी तरीके से मैक्स लाइफ के इक्विटी शेयरों की खरीद और बिक्री से अनुचित लाभ कमाने की अनुमति दी गई.

स्वामी ने अपनी याचिका में कहा कि ये लेन-देन भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) के अनिवार्य निर्देशों का उल्लंघन है. इसलिए, उन्होंने तर्क दिया कि इस लेन-देन की जांच विशेषज्ञों की एक समिति द्वारा की जानी चाहिए. स्वामी ने तर्क दिया कि यह मुद्दा राष्ट्रीय महत्व का है और देश के नागरिकों की वित्तीय सुरक्षा को प्रभावित करता है.

इसमें आगे कहा गया है कि हालांकि आईआरडीएआई ने गलत बयानी के लिए मैक्स लाइफ पर 3 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है, लेकिन कुल धोखाधड़ी की तुलना में यह जुर्माना नगण्य है.

-भारत एक्सप्रेस

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