प्रवर्तन निदेशालय (ईडी)
प्रवर्तन निदेशालय ने जल शोधन अधिनियम, 2002 (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत राजस्थान के जयपुर और बांसवाड़ा जिलों में 8 स्थानों पर छापेमारी की है. एजेंसी द्वारा जारी एक आधिकारिक बयान में कहा गया, है कि जल जीवन मिशन घोटाले में राजस्थान सरकार के पीएचईडी के पूर्व मंत्री महेश जोशी और पीएचईडी के अधिकारियों के आवासीय परिसरों पर तलाशी ली गई है.
फर्जी दस्तावेजों के सहारे हासिल किया ठेका
आधिकारिक प्रेस विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि ईडी ने एसीबी, राजस्थान द्वारा पदमचंद जैन (श्री श्याम ट्यूबवेल कंपनी), महेश मित्तल (श्री गणपति ट्यूबवेल कंपनी) और पीएचईडी अधिकारियों सहित अन्य के खिलाफ दर्ज एफआईआर के आधार पर जांच शुरू कर दी है.
विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि इस मामले में राजस्थान पुलिस और बजाज नगर पुलिस स्टेशन द्वारा एक शिकायत के आधार पर आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत एक और एफआईआर भी दर्ज की गई थी, जिसमें “संदिग्ध फर्मों में से एक द्वारा नकली और मनगढ़ंत कार्य अनुभव प्रमाणपत्रों के उपयोग” का आरोप लगाया गया था.
ईडी की जांच से पता चला है कि उक्त ठेकेदार इंडियन रेलवे कंस्ट्रक्शन इंटरनेशनल लिमिटेड (आईआरसीओएन) द्वारा जारी कथित फर्जी कार्य समापन प्रमाणपत्रों के आधार पर और पीएचईडी के वरिष्ठ अधिकारियों को रिश्वत देकर जल जीवन मिशन कार्यों से संबंधित निविदाएं हासिल करने में शामिल था. इसके अलावा कई बिचौलियों और संपत्ति डीलरों ने भी ऐसा किया है. जेजेएम घोटाले से अवैध रूप से अर्जित धन को निकालने में पीएचईडी अधिकारियों की सहायता की। यह पता चला है कि आपराधिक गतिविधियों से उत्पन्न धन का उपयोग करके कुछ संपत्तियां खरीदी गईं.”
इसे भी पढ़ें: UP Politics: अखिलेश यादव निकालने जा रहे हैं PDA की यात्रा…राहुल गांधी की न्याय यात्रा पर ली चुटकी, जानें क्या कुछ बोले?
पकड़ी गई लाखों की नगदी
एजेंसी ने बताया कि “तलाशी अभियान के दौरान, संपत्ति विवरण, डिजिटल साक्ष्य, मोबाइल इत्यादि सहित विभिन्न आपत्तिजनक दस्तावेजों के साथ कुल 39 लाख रुपये की बेहिसाब नकदी जब्त की गई है. इस मामले में अब तक कुल 11.42 करोड़ रुपये की जब्ती हुई है. इसमें 6.50 करोड़ रुपये का सोना या चांदी भी शामिल है.”