संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा
Karauli Sarkar Baba: आम जनता को बेवकूफ बनाकर लूट खसोट मचाने वाले यूपी के कानपुर जिले के करौली सरकार बाबा की अब एक के बाद एक पोल खुलती जा रही है. नोएडा के एक डॉक्टर ने उसकी पोल खोली तो वह अपने बचाव में उतर आया, लेकिन पूर्व के उसके कांड उसकी सारी कलीई खोल रहे हैं.
बीमारियों को ठीक करने का दावा करने वाले करौली बाबा पर विवाद अब गहराता जा रहा है और एक के बाद एक उनकी कई हरकतें मीडिया में खुलकर सामने आ गई हैं. नोएडा के एक डॉक्टर ने उसके खिलाफ मारपीट की धाराओं में मुकदमा दर्ज करा दिया है और दावा किया है कि वह कोई बीमारी नहीं ठीक कर पाते हैं. चौंकाने वाली बात ये है कि आखिर एक किसान नेता कैसे आयुर्वेदिक चिकित्सक और फिर बाबा बनने की सीढ़ियां चढ़ गया. सालों से आम जनता को बेवकूफ बनाकर करोड़ों का अपना साम्राज्य स्थापित कर लिया और किसी को इसकी भनक तक नहीं लगी. ये एक बड़ा सवाल है.
किसान नेता से कुछ यूं बना बाबा
संतोष सिंह भदौरिया पहले किसान नेता था. इसके बाद उसने करौली में थोड़ी जमीन खरीदी. फिर उसने यहां पर सबसे पहले शनि भगवान का मंदिर बनवाया. इसके बाद उसने थोड़ी और जमीन खरीद कर आश्रम बना दिया. शुरुआत में वह आयुर्वेदिक डॉक्टर बनकर इलाज कर रहा था, लेकिन फिर धीरे-धीरे वह तंत्र मंत्र कर लोगों को इलाज करने का दावा करने लगा. इसके साथ ही उसकी ख्याति आस-पास के गांवों में फैलने लगी. चूंकि वह किसान नेता था, इसलिए किसान उनके पक्ष में थे और इस तरह से उसका साम्राज्य फलता-फूलता चला गया. वहीं, किसान नेता होने के नाते पहले से ही उसकी पैठ शासन-प्रशासन में रही तो बाबा का काम उनके लिए और आसान हो गया. अगर इन सबमें किसी के साथ छल हुआ तो वह है भोली-भाली जनता, जो सैकड़ों-हजारों रुपए लुटाकर बाबा के पास इलाज के लिए जाती रही. चूंकि उसे जड़ी-बूटियों का भी ज्ञान है, तो इसलिए उसका झाड़-फूंक वाला काम भोली-भाली जनता के बीच चमक गया, लेकिन वह फंसा उस वक्त जब नोएडा के एक डॉक्टर अपना इलाज कराने पहुंचे और बाबा की झाड़-फूंक से उनको कोई राहत नहीं मिली. हालांकि इस मामले में बाबा ने अपने लोगों की मदद से डॉक्टर की जमकर पिटाई की है, लेकिन पीड़ित डॉक्टर ने भी उसके खिलाफ मामला दर्ज करा कर उसे खुलेआम चेतावनी दे दी है.
महेंद्र टिकैत के साथ किसान आंदोलनों में ले चुका है हिस्सा
संतोष सिंह भदौरिया उर्फ करौली बाबा मूल रूप से यूपी के उन्नाव जिले के बारह सगवर का रहने वाला हैं. बाबा के पेशे में आने से पहले वो किसान नेता हुआ करता था और देश के दिग्गज किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के साथ काम किया करता था. संतोष सिंह ने महेंद्र सिंह टिकैत के साथ कई किसान आंदोलनों में बढ़-चढ़कर कर भाग लिया. उसी समय कानपुर में किसान यूनियन बड़े नेता संतराम सिंह की हत्या हो गई. इसके बाद महेंद्र सिंह टिकैत ने संतोष सिंह भदौरिया को कानपुर के सरसोल क्षेत्र की देखरेख करने के लिए बागडोर सौंप दी थी.
वहीं, बाबा ने दावा किया है कि उसने अपनी मेहनत व कमाई से ये आश्रम बनवाया है. उसका दावा है कि वह सरकार को नंबर एक में इनकम टैक्स देता है. साल में 10 करोड़ का टैक्स देता है. बाबा का कहना है कि कागज देखिए और इनकम टैक्स वालों को साथ में बुलाइए. मतलब बाबा कागजी कार्रवाई में खुद को मजबूत रखने का दावा कर रहा है.
-भारत एक्सप्रेस