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केरल: ‘हिंदू-मुस्लिम’ वॉट्सऐप ग्रुप विवाद में फंसे IAS अधिकारी निलंबित

केरल के राजस्व मंत्री के. राजन ने कहा था कि सरकार अधिकारियों को उनके मन मुताबिक काम करने की अनुमति नहीं देगी. अधिकारियों को मानदंडों और प्रक्रिया के अनुसार काम करना होगा.

निलंबित आईएस के गोपालकृष्णन (फाइल फोटो)

केरल सरकार ने सोमवार को दो आईएएस अधिकारी केरल उद्योग एवं वाणिज्य निदेशक के गोपालकृष्णन (IAS Gopalakrishnan) और कृषि विभाग के विशेष सचिव एन. प्रशांत (IAS N. Prasanth) को निलंबित कर दिया. 2013 बैच के अधिकारी गोपालकृष्णन “मल्लू हिंदू ऑफिसर्स” (Mallu Hindu Officers) नामक एक वॉट्सऐप ग्रुप (Kerala IAS Whatsapp Group) बनाने के बाद विवाद में फंस गए.

2007 बैच के अधिकारी प्रशांत ने पिछले तीन दिनों में सोशल मीडिया पर एक अन्य आईएएस अधिकारी अतिरिक्त मुख्य सचिव ए जयतिलक के खिलाफ कई पोस्ट किए. मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन (CM Pinarayi Vijayan) ने मुख्य सचिव शारदा मुरलीधरन की रिपोर्ट के आधार पर दोनों को निलंबित करने का फैसला लिया. राजस्व मंत्री के राजन ने कहा कि सरकार “अधिकारियों को उनके मन मुताबिक काम करने की अनुमति नहीं देगी. अधिकारियों को मानदंडों और प्रक्रिया के अनुसार काम करना होगा.”

मेरा फोन हैक किया गया

मल्लू हिंदू ऑफिसर्स” वॉट्सऐप ग्रुप 30 अक्टूबर को बनाया गया था और इसमें वरिष्ठ आईएएस अधिकारी, जो हिंदू थे, को जोड़ा गया. इसे बनाए जाने के कुछ ही घंटों के भीतर डिलीट कर दिया गया, क्योंकि कई अधिकारियों ने इस तरह के ग्रुप को अनुचित ठहराया था. कुछ दिनों बाद गोपालकृष्णन ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई कि उनके फोन को हैक करने के बाद “मल्लू हिंदू ऑफिसर्स” वॉट्सऐप ग्रुप, “मल्लू मुस्लिम ऑफिसर्स” वॉट्सऐप ग्रुप सहित कई अन्य ग्रुप भी बनाए गए थे.

हालांकि गोपालकृष्णन को निलंबित करने वाले आदेश में कहा गया है कि पुलिस जांच में पता चला है कि “ऐसा कोई सबूत नहीं है जो दर्शाता हो कि डिवाइस को हैक किया गया था”, जैसा कि उन्होंने दावा किया था. आदेश में कहा गया है, “यह भी पता चला है कि अधिकारी (गोपालकृष्णन) ने अपने मोबाइल फोन को फोरेंसिक जांच के लिए जमा करने से पहले खुद ही बार-बार फ़ैक्टरी रीसेट किया था.”


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आदेश के अनुसार, सरकार का मानना ​​है कि वॉट्सऐप ग्रुप का उद्देश्य “राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडरों के बीच विभाजन को बढ़ावा देना, फूट डालना और एकजुटता को तोड़ना था. प्रथमदृष्टया इसका उद्देस्य राज्य में अखिल भारतीय सेवाओं के कैडरों के बीच सांप्रदायिक गठबंधन बनाने वाला भी पाया गया.”

सीएम को फाइलें गुम होने की रिपोर्ट सौंपी

आईएस अधिकारी प्रशांत के निलंबन के पीछे उनके द्वारा सोशल मीडिया पर किया गया पोस्ट था. प्रशांत ने अतिरिक्त मुख्य सचिव ए. जयतिलक के खिलाफ कई पोस्ट किए थे, जिसमें उन्होंने ए. जयतिलक को एक मलयालम अखबार का “विशेष रिपोर्टर” कहा था, जिसने एक रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिस पर प्रशांत ने आपत्ति जताई थी.

प्रशांत की पोस्ट के पीछे तत्काल कारण मातृभूमि नाम के अखबार में शुक्रवार (8 नवंबर)  को प्रकाशित एक स्टोरी थी, जिसमें दावा किया गया था कि 1991 बैच के आईएएस अधिकारी जयतिलक ने SC/ST योजनाओं को कारगर बनाने के लिए काम करने वाली राज्य सरकार की एजेंसी उन्नत्ति (UNNATHI) में फाइलें गुम होने के बारे में मुख्यमंत्री को एक रिपोर्ट सौंपी थी. प्रशांत SC/ST विभाग में विशेष सचिव के पद पर कार्यरत थे.

मेरा पक्ष जाने बिना  खबर चलाई

फेसबुक पर 2007 बैच के अधिकारी प्रशांत ने आरोप लगाया, “मातृभूमि, जो फील्ड में जाने वाले अधिकारियों से परिचित नहीं है, ने मेरे खिलाफ खबर चलाई है. हमेशा की तरह अखबार ने मेरा पक्ष नहीं पूछा. मैं मातृभूमि के विशेष संवाददाता डॉ. जयतिलक आईएएस के बारे में कुछ तथ्यों से जनता को अवगत कराने के लिए मजबूर हूं, जो मेरे खिलाफ रिपोर्ट तैयार करते हैं और उसे अखबार के साथ साझा करते हैं.” रविवार को प्रशांत ने फिर से जयतिलक के खिलाफ मोर्चा खोल दिया और मसाला बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में जयतिलक के कार्यकाल के दौरान कथित अनियमितताओं के संबंध में उनके खिलाफ प्रारंभिक जांच की एक रिपोर्ट शेयर की.

टिप्पणी गंभीर अनुशासनहीनता के बराबर

प्रशांत के निलंबन आदेश में कहा गया है कि उनकी टिप्पणी “गंभीर अनुशासनहीनता के बराबर है और इस तरह की टिप्पणी राज्य में प्रशासनिक मशीनरी की सार्वजनिक छवि को नुकसान पहुंचाती है. प्रथमदृष्टया टिप्पणियों में राज्य में भारतीय प्रशासनिक सेवा में विभाजन और असंतोष पैदा करने वाली है. यह जनता की सेवा को भी प्रभावित कर सकती है.” इसमें कहा गया है कि टिप्पणी एक आईएएस अधिकारी के लिए “अशोभनीय” थी. वहीं अधिकारी गोपालकृष्णन ने अपने निलंबन पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.

-भारत एक्सप्रेस



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