सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया
Namaz Controversy: केरल से बड़ी खबर सामने आ रही है. यहां के निर्मला कॉलेज में उस वक्त छात्राओं ने हंगामा शुरू कर दिया, जब उनको नमाज अदा करने के लिए कमरा आवंटित नहीं किया गया. इसको लेकर छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इसी के साथ ही प्रिसिंपल का घेराव भी किया. फिलहाल इस मामले पर भाजपा और एसएफआई का भी बयान सामने आया है.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, केरल के एर्नाकुलम में निर्मला कॉलेज (Nirmala College) स्थित है. इसको कैथोलिक चर्च संचालित करता है. ये कॉलेज उस वक्त विवादों के घेरे में आ गया, जब कॉलेज प्रशासन ने मुस्लिम समुदाय की कुछ छात्राओं को नमाज अदा करने के लिए एक कमरा आवंटित नहीं किया, जबकि छात्राओं ने इसकी मांग की थी.
न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट की मानें तो ये मामला 26 जुलाई को उस वक्त शुरू हुआ था, जब कमरा ना मिलने पर छात्राओं ने कॉलेज के प्रिंसिपल फादर कन्नडन फ्रांसिस का घेराव किया और विरोध प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि एक नॉन-टीचिंग स्टाफ ने उन्हें कॉलेज के एक कमरे में नमाज अदा करने से रोका. कथित रूप से ऐसा कई दिनों तक किया गया.
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इस तरह की हरकत के पीछे हैं चरमपंथी लोग
बता दें कि इस घटना की भाजपा ने निन्दा की है और कहा है कि कुछ लोग हिंदू और ईसाई समुदायों द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में समस्या पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. भाजपा के राज्य प्रमुख के सुरेंद्रन ने आरोप लगाते हुए कहा है, “कुछ लोग नमाज अदा करने की अनुमति नहीं देने के लिए कॉलेज के प्रिंसिपल को धमकाने की कोशिश कर रहे हैं. इस तरह की हरकतों के पीछे चरमपंथी लोग हैं. ऐसे लोगों को वामपंथी और कांग्रेस पार्टियों का समर्थन प्राप्त है.”
एक अन्य बयान में भाजपा की ओर से कहा गया है कि “कांजीरापल्ली और एराट्टुपेट्टा में भी इसी तरह की घटनाएं सामने आई हैं. ये हमारे कॉलेजों को धर्म के नाम पर दंगा-फसाद का मैदान बनाने की अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा है.”
एसएफआई ने कही ये बात
इसी के साथ ही सत्तारूढ़ CPM के छात्र संगठन स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) ने एक बयान जारी करते हुए कहा है कि संघ परिवार के संगठन इस विरोध प्रदर्शन के लिए उन्हें दोषी ठहराने की कोशिश कर रहे हैं. संगठन ने दावा किया है कि “एसएफआई हमेशा परिसर को धर्मनिरपेक्ष बनाए रखने के लिए सबसे आगे रहा है. SFI जानता है कि परिसर में किसी विशेष धर्म के अनुष्ठानों को करने की अनुमति देने से परिसर की धर्मनिरपेक्ष भावना प्रभावित हो सकती है.” इसके अलावा संगठन के राज्य सचिव पी एम अर्शो ने कहा है कि संगठन किसी भी विरोध प्रदर्शन का हिस्सा नहीं था.
-भारत एक्सप्रेस
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