कानून मंत्री किरण रिजिजू और सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़
Supreme Court Collegium: जजों की नियुक्ति के मसले पर न्यायपालिका और केंद्र सरकार के बीच टकराव जारी है. अब खबर है कि केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में अपने प्रतिनिधि चाहता है. इस संबंध में केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखा है. हालांकि आधिकारिक तौर पर इस चिट्ठी के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिल पाई है.
मीडिया रिपोर्ट्स में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सीजेआई को लिखे पत्र में किरेन रिजिजू की तरफ से सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है. इस पत्र में कहा गया है कि ये पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही के संचार के लिए आवश्यक है. रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि रिजिजू ने राज्य सरकार के प्रतिनिधियों को हाई कोर्ट कॉलेजियम में शामिल करने का भी सुझाव दिया है.
करीब एक दशक पहले सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज रूमा पाल ने कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठाए थे. पिछले कुछ समय से जजों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट के बीच खींचतान जारी है. किरेन रिजिजू ने बीते साल कॉलेजियम में पारदर्शिता और सार्वजनिक जवाबदेही की कमी का मुद्दा उठाया था.
वहीं, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधियों को शामिल करने के सुझावों को नेशनल ज्यूडिशियल अपॉइंटमेंट कमीशन एक्ट लाने की सरकार की नई कोशिश के तौर पर देख रहा है, जिसे संसद ने पारित किया था लेकिन अक्टूबर 2015 में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया था.
पिछले साल एक कार्यक्रम के दौरान कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा था कि उन्होंने विभिन्न मंचों पर कॉलेजियम प्रणाली पर सवाल उठाए थे और 1993 तक कोई बहस या चर्चा नहीं हुई थी, लेकिन 1993 के बाद क्या हुआ, सभी जानते हैं. रिजिजू ने कहा था कि कुछ राजनीतिक दलों का दावा है कि कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच टकराव है और सरकार न्यायपालिका पर नियंत्रण करने की कोशिश कर रही है. रिजिजू ने कहा था कि लेकिन प्रधानमंत्री ने हमेशा कहा है कि संविधान सबसे पवित्र किताब है और देश संविधान से चलेगा.
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