बृज भूषण शरण सिंह
मेरे हाथ से एक हत्या हुई है, यह बात ऑन रिकॉर्ड कैमरे के सामने खुलेआम कहने वाली शख्सियत का नाम बृज भूषण शरण सिंह.
बृज भूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) वर्तमान समय में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर गोण्डा जिले के कैसरगंज संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं. बृज भूषण शरण सिंह की लोकप्रियता का यह आलम है कि वह लगातार 1991 से लोकसभा के सदस्य हैं अगर बीच के उनके पत्नी के 1996 के कार्यकाल को छोड़ दिया जाए तो. वह छह बार के सांसद हैं, पांच बार भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर और एक बार (2009 में) समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर वे संसद पहुंचे.
राजनीति वह काजल की कोठरी है जिसमें से बचकर साफ निकल पाना बड़ा मुश्किल काम होता है. भारतीय राजनीति में एक ऐसे भी सांसद हैं जो 30 वर्षों से सांसद हैं और हर बार अपने ऊपर लगे आरोपों से बच निकलते हैं.
आईये जानते हैं विवादों को
एक विवाद को खत्म करने के उद्देश्य को लेकर पंचायत करने कुछ लोग एक जगह इकट्ठा हुए, उस पंचायत में अयोध्या के वर्तमान सांसद लल्लू सिंह (Lallu Singh), कैसरगंज सांसद बृज भूषण शरण सिंह और उसके करीबी मित्र रविन्द्र (Ravindra) समेत दर्जनों लोग एकत्रित हुए.
रविन्द्र, पंडित सिंह के भाई थे और बृज भूषण सिंह के बेहद ही करीबी मित्र थे, उसी पंचायत में एक गोली चलती है जो बृज भूषण शरण सिंह के बगल में खड़े रविन्द्र को आकर लग जाती है. इसे देखकर बृज भूषण शरण सिंह आवेश में आ गए और गोली चलाने वाले व्यक्ति के हाथों से रायफल छीनकर उसे भी गोली मार दी. बकौल बृज भूषण शरण सिंह ‘मेरे जीवन में मेरे हाथ से एक हत्या हुई है. लोग जो कुछ भी कहें, मैंने एक हत्या की है. रविंदर को जिस आदमी ने मारा है, मैंने तुरंत रायफल उसकी पीठ पर रखकर मार दिया और वो मर गया.’
स्थानीय लोगों के अनुसार एक समय में सांसद बृज भूषण शरण सिंह और भूतपूर्व मंत्री पंडित सिंह काफी करीबी थे, लेकिन इन दोनों के बीच मतभेद मनभेद में बदल गया और 1993 में पंडित सिंह के ऊपर 20 गोलियां चलीं और पंडित सिंह 14 महीने अस्पताल में एडमिट रहे. फैसला आने से लगभग डेढ़ साल पहले कोरोना के संक्रमण के चलते पंडित सिंह (Pandit Singh) का निधन हो गया, आरोप बृज भूषण शरण सिंह पर लगे लेकिन 29 साल बाद आये फैसले में वह निर्दोष साबित हुए.
बृज भूषण शरण सिंह पर एक आरोप 2004 में लोकसभा चुनाव के मतदान के दिन लगा, दरअसल बृजभूषण शरण सिंह को 2004 के लोकसभा चुनाव में गोण्डा के बजाय बलरामपुर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी बनाया गया और गोण्डा से घनश्याम शुक्ला (Ghanshyam Shukla) को उम्मीदवार बनाया गया. मतदान वाले दिन ही घनश्याम शुक्ला की एक सड़क दुर्घटना में मौत हो गई और आरोप बृज भूषण शरण सिंह पर लगे. आरोप की गंभीरता इतनी अधिक थी कि देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (Prime Minister Atal Bihari Vajpayee) ने बृज भूषण शरण सिंह से कहा ‘मरवा दिया (तुमने).’ गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी घनश्याम शुक्ला को अत्यधिक स्नेह करते थे.
इसके बाद बृज भूषण शरण सिंह ने अलग राहें तलाशनी शुरू कर दी और इसकी शुरुआत 2008 में हुई. उन्होंने तत्कालीन संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यूपीए) सरकार के खिलाफ विपक्ष द्वारा लाए एक महत्वपूर्ण विश्वास प्रस्ताव में अपनी ही पार्टी के खिलाफ क्रॉस-वोटिंग करके सुर्खियों बटोरीं. भाजपा (BJP) ने उन्हें निष्कासित कर दिया, लेकिन सपा (SP) ने उनके लिए अपने दरवाजे खोल दिए.
आरोप कितने भी लगे लेकिन, बृज भूषण शरण सिंह के राजनीतिक रसूख पर कोई अंतर नहीं पड़ा. समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर वे 2009 में कैसरगंज लोकसभा सीट से सांसद निर्वाचित हुए लेकिन समय ने करवट बदला और बृज भूषण शरण सिंह 2014 एवं 2019 में कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से भारतीय जनता पार्टी के बैनर तले सांसद बने.
-भारत एक्सप्रेस