बसपा सुप्रीमो मायावती.
Loksabha Elelction 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर यूपी में सियासत तेज हो गई है. सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुटे हुए हैं और भाजपा, कांग्रेस, सपा ने तमाम सीटों पर अपने उम्मीदवारों की घोषणा भी कर दी है. इसी बीच बसपा को लेकर खबर सामने आ रही है कि, पार्टी संस्थापक कांशीराम की जयंती पर पार्टी राज्यवार टिकटों की घोषणा कर सकती है. साथ ही ये भी कहा जा रहा है कि इसी दिन बसपा सुप्रीमो मायावती पार्टी कार्यकर्ताओं को अहम संदेश भी दे सकती हैं.
पार्टी 15 मार्च यानी कल अपने महापुरुष की जयंती पूरे प्रदेश में मनाने की तैयारी में जुट गई है. इसको लेकर हर जिले में तैयारी की जा रही है. बता दें कि कई बार बसपा के इंडिया गठबंधन में जाने के कयास लगाए गए लेकिन हर बार बसपा सुप्रीमो मायावती ने अकेले चुनाव लड़ने का बयान देकर सपा और कांग्रेस की उम्मीदों पर पानी फेर दिया, लेकिन चर्चा है कि उनकी बातचीत लगातार कांग्रेस के साथ जारी है और इसको लेकर यह भी कहा जा रहा है कि कांशीराम की जयंती पर कुछ स्थिति साफ हो सकती है. यूपी के प्रदेश अध्यक्ष विश्वनाथ पाल ने दावा करत हुए कहा है, प्रत्याशियों का पैनल तैयार हो गया है. टिकटों की जल्द ही घोषणा बसपा सुप्रीमो करेंगी. उन्होंने बताया कि कांशीराम की जयंती हर जिले में मनाने के निर्देश कार्यकर्ताओं को दिए गए हैं. बसपा सुप्रीमो लखनऊ में श्रद्धाजंलि अर्पित करेंगी.
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जयंती के बाद होगी टिकटों की घोषणा
पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी ने लोकसभा चुनाव को लेकर तैयारी पूरी कर ली है. किसको कहां से उतारा जाएगा इसको लेकर कागजी कार्रवाई भी कर ली गई है. कांशीराम जयंती के बाद टिकटों की घोषणा भी होने लगेगी. चुनाव की तैयारियों पर बसपा उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष शीशपाल चौधरी ने मीडिया को बताया कि, राज्य की 5 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का पैनल तैयार हो गया है. हर सीट पर तीन-तीन दावेदारों की सूची तैयार की गई है. 15 मार्च के बाद बसपा सुप्रीमो से मीटिंग होगी. इसके बाद प्रत्याशियों की घोषणा हो जाएगी.
लगातार गिरा बसपा का ग्राफ
उत्तर प्रदेश में एक समय मायावती की तूती बोलती थी लेकिन चुनाव दर चुनाव बसपा का ग्राफ गिरता गया. 2007 में मायावती ने उत्तर प्रदेश में सोशल इंजीनियरिंग के फॉर्मूले से विधानसभा में 30.43 प्रतिशत वोट हासिल किए थे लेकिन 2009 के लोकसभा चुनाव में प्रतिशत घटकर 27.4 पर पहुंच गया था. 2012 में सोशल इंजीनियरिंग की पकड़ और भी ढीली पड़ गई और वोट प्रतिशत गिरकर 25.9 फीसदी पर आ गया. 2014 के लोकसभा चुनावों में बसपा को 20 फीसदी वोट मिले तो वहीं 2017 में 23 फीसदी वोट मिले और लोकसभा चुनाव 2019 में 19.36 और 2022 में सिर्फ 18.88 फीसद वोट ही बसपा हासिल कर सकी.
-भारत एक्सप्रेस
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