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लोकसभा चुनाव से पहले बिहार में चाचा, तो झारखंड में भाभी का पाॅलिटिकल ब्रेकअप, समझें इसके सियासी मायने

Lok sabha Election 2024: बिहार और झारखंड में लोकसभा चुनाव से पहले सियासी उठापटक का दौर चल रहा है. आज पशुपति पारस ने एनडीए से नाता तोड़ लिया तो वहीं हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन से पार्टी से त्यागपत्र दे दिया.

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बिहार से पशुपति पारस और झारखंड की सीता सोरेन.

Lok sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव 2024 की तारीखों का ऐलान हो चुका है. इससे पहले बिहार और झारखंड का राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा है. बिहार में पशुपति पारस ने एनडीए से नाता तोड़ अलग राह पकड़ ली. वहीं झारखंड में भी सीता सोरेन जेएमएम की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देकर भाजपा का दामन थाम लिया. चुनाव से पहले झारखंड और बिहार में अच्छा खासा राजनीतिक वर्चस्व रखने वाली पार्टियों में फूट से उनके वोट बैंक को तगड़ा झटका लग सकता है.

जानकारी के अनुसार सीता सोरेन की नाराजगी के कारण जनवरी में हेमंत सोरेन पत्नी को सीएम नहीं बना पाए. इसलिए उन्हें परिवार के बाहर चंपई सोरेन को सीएम बनाना पड़ा. सीता सोरेन ने जेएमएम प्रमुख शिबू सोरेन को लिखे इस्तीफे में कहा कि उनके पति दुर्गा सोरेन झारखंड आंदोलन के अग्रणी योद्धा और महान क्रांतिकारी थे. उनके निधन के बाद से उनके परिवार को लगातार उपेक्षा का शिकार होना पड़ रहा है. पार्टी और परिवार के सदस्यों की ओर से अलग-थलग कर दिया गया है.

गलत हाथों में चली गई पार्टी

सीता सोरेन ने आगे कहा कि उम्मीद थी कि समय के साथ स्थितियां सुधर जाएगी. परंतु ऐसा नहीं हुआ. जेएमएम को उनके दिवंगत पति ने त्याग और समर्पण के बल पर मजबूती प्रदान करने का काम किया. उन्होंने पार्टी के गलत हाथों में जाने को लेकर कहा कि अब पार्टी ऐसे हाथों में चली गई है जिनके दृष्टिकोण और उद्देश्य मूल्यों से मेल नहीं खाते हैं. जामा से तीन बार की विधायक सीता सोरेन ने कहा कि गुरुजी शिबू सोरेन ने सभी को एकजुट रखने का प्रयास किया लेकिन अफसोस है कि उनके सारे प्रयास फेल हुए.

पशुपति उठा सकते हैं ये कदम

जानकारी के अनुसार भाजपा सीता को लोकसभा चुनाव लड़वा सकती है. हालांकि पार्टी ने 14 में से 11 सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. लेकिन किसी एक सीट पर पार्टी सीता को मैदान में उतार सकती है. वहीं बिहार में पशुपति पारस आज एनडीए से नाता तोड़ लिया. हालांकि वे आगे क्या करेंगे इसको लेकर अभी भी सस्पेंस है. जानकारों की मानें तो वे महागठबंधन में भी शामिल हो सकते हैं. या फिर वे अपनी अलग राह पकड़ सकते हैं. ठीक वैसे ही जैसे उनके भतीजे चिराग ने 2020 के विधानसभा चुनाव में पकड़ी थी.

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