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Lok Sabha Elections: यूपी की हॉट सीट लखनऊ पर लंबे वक्त से भाजपा का कब्जा, जानें क्या है समीकरण, सपा के लिए आसान नहीं राह

1991 से अब तक भाजपा का ही लखनऊ की सीट पर कब्जा रहा है. तो वहीं एक बार फिर से भाजपा ने राजनाथ सिंह को ही यहां से उतारा है. लखनऊ भाजपा की परंपरागत सीट रही है.

राजनाथ सिंह-रविदास मेहरोत्रा (फोटो सोशल मीडिया)

Lok Sabha Elections: उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव को लेकर सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारी में जुटी है तो वहीं अगर देश की सबसे बड़े राजनीतिक दल भाजपा की बात करें तो इस बार भाजपा ने यूपी में सभी 80 लोकसभा सीटों पर जीत हासिल करने का दावा किया है और इसी के साथ लगातार आगे बढ़ रही है. तो वहीं अगर उत्तर प्रदेश की हॉट सीट माने जाने वाली लखनऊ लोकसभा सीट की अगर बात करें तो देश के गृहमंत्री राजनाथ सिंह यहां से सांसद हैं. एक तरह से लखनऊ की सीट को भाजपा अपनी रिजर्व सीट मानती आई है. 1991 से अब तक भाजपा का ही लखनऊ की सीट पर कब्जा रहा है. तो वहीं एक बार फिर से भाजपा ने राजनाथ सिंह को ही यहां से उतारा है. लखनऊ भाजपा की परंपरागत सीट रही है. 2004 तक यहां से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जीत हासिल करते आए हैं तो वहीं अब राजनाथ सिंह पिछले दो चुनावों से फतह हासिल कर रहे हैं और इस बार तीसरी बार राजनाथ सिंह चुनावी मैदान में दिखाई देंगे.

सपा ने उतारा रविदास मेहरोत्रा को

तो वहीं अगर सपा को देखा जाए तो सपा ने यहां से पूर्व मंत्री व विधायक रविदास मेहरोत्रा को चुनावी मैदान में उतारा है. वह विपक्षी गठबंधन I.N.D.I.A. के उम्मीदवार के तौर पर राजनाथ सिंह को चुनौती देंगे. बता दें कि कुछ महीने पहले ही सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने रविदास मेहरोत्रा को लोकसभा प्रभारी नियुक्त किया था. अगर रविदास मेहरोत्रा के राजनीतिक करियर की ओर गौर किया जाए तो पहली बार 1989 में जनता दल के टिकट पर लखनऊ पूर्वी सीट से विधायक बने थे. हालांकि वह लम्बे समय से सपा से जुड़े हैं. तो वहीं पिछली बार समाजवादी पार्टी ने पूनम सिन्हा को उतारा था. रविदास मेहरोत्रा वर्ष 2012 में लखनऊ मध्य से दूसरी बार विधायक बने थे इसी के बाद उनको मंत्री बनाया गया था लेकिन 2017 में यूपी चुनाव में उनको हार का मुंह देखना पड़ा. हालांकि उन्होंने हार नहीं मानी और इस बीच वह लगातार अपने क्षेत्र में लोगो से जुड़े रहे. नतीजतन यूपी चुनाव 2022 में एक बार फिर वह विधायक बने. बता दें कि लोकसभा सीट सपा- कांग्रेस गठबंधन के तहत सपा के हिस्से में आई है. तो वहीं माना जा रहा है कि लखनऊ में सपा की राह आसान नहीं है. हालांकि रविदास मेहरोत्रा की छवि की बात करें तो लखनऊ के व्यापारियों के बीच में उनकी अच्छी-खासी पैठ है और वह अपने क्षेत्र में भी लगातार जनता के साथ खड़े रहते हैं. हालांकि राजनीतिक जानकारों की मानें तो भाजपा के किले में सेंध लगाने के लिए रविदास को और काम करने की जरूरत है.

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जानें कितनी है लखनऊ की आबादी

लखनऊ जिले की आबादी 45.89 लाख है, यहां की औसत साक्षरता दर 77.29% है, लखनऊ लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में विधान सभा की पांच सीटें आती हैं, जिनके लखनऊ पश्चिम, लखनऊ उत्तर, लखनऊ पूर्व, लखनऊ मध्य और लखनऊ कैंट शामिल है. लखनऊ की 77 प्रतिशत आबादी हिंदू और 21 प्रतिशत जनसंख्या मुस्लिम है, साल 2014 के चुनाव में 1949596 वोटरों ने हिस्सा लिया था, जिसमें 46 प्रतिशत महिलाएं शामिल थीं.

देखें क्या कहते हैं समीकरण

पिछले चुनावो को देखते हुए भाजपा के लिए इस बार भी लखनऊ लोकसभा सीट की राह आसान ही दिखाई दे रही है. अगर पिछले दो लोकसभा चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो भाजपा के पक्ष में एकतरफा मतदान हुआ है. वोटिंग में इजाफा भी देखा गया है. लोकसभा चुनाव 2009 की बात करें तो यहां से लालजी टंडन भाजपा के उम्मीदवार बने थे, हालांकि, उनको 35 फीसदी वोट मिले थे. इसके बाद लोकसभा चुनाव 2014 में भाजपा के राजनाथ सिंह ने लखनऊ से ताल ठोकी और फिर अपनी छवि से बीजेपी को एक बार फिर पुरानी स्थिति में पहुंचा दिया था. उनको 55 प्रतिशत वोट मिले थे. इस चुनाव में राजनाथ सिंह ने कांग्रेस की प्रो. रीता बहुगुणा जोशी को 2,72,749 वोटों से हरा दिया था. लोकसभा चुनाव 2019 में बीजेपी की पकड़ और मजबूत हुई. सपा- बसपा गठबंधन के बावजूद राजनाथ सिंह ने लखनऊ सीट से 3,47,302 वोटों से फतह हासिल की थी और कुल मिले वोटों का 57 फीसदी पर कब्जा जमाया था. उनके खिलाफ सपा की ओर से फिल्म अभिनेता से राजनेता बने शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा चुनावी मैदान में थीं, जिनको मात्र 26 प्रतिशत ही वोट मिले थे.

-भारत एक्सप्रेस

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