सपा उम्मीदवार डिंपल यादव(ट्विटर)
Mainpuri Byolls: उत्तरप्रदेश के मैनपुरी लोकसभा चुनाव में यादव परिवार के एकजुट होने के बावजूद भी उनको मुलायम सिंह की विरासत को बचाने का डर सता रहा है. प्रत्याशी डिंपल ने यादव ने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि वो मतदान के दिन पहले अपने घरों में सोए नहीं. डिंपल यादव के इस बयान के बाद सियासी बाजार में इस बात को लेकर चर्चा हो रही है कि आखिरकार समाजवादी को किस बात का डर है. डिंपल यादव ने चुनाव प्रचार के दौरान एक सभा को संबोधित करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ता 4 और 5 दिसंवर की रात को अपने घरों में सोए नहीं.
उन्होने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि बीजेपी जिला प्रशासन की मदद से सपा के स्थानीय नेताओं को प्रताड़ित करेगी. हमें उसके लिए तैयार रहना है.
समाजवादी पार्टी को किसका डर ?
डिंपल यादव(Dimple Yadav) ने भोगांव विधानसभा क्षेत्र के अलावा गांव में जनसभा को संबोधित करते हुए कि ‘मैं सपा के अपने युवा साथियों और नेताओं से कहना चाहती हूं कि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव के मतदान से एक दिन पहले अगले 4 दिसंबर से प्रशासन उन पर ज्यादती करेगा, इसलिए 4 और 5 दिसंबर को अपने घरों में ना सोएं. आप चुपचाप जाकर वोट डालें और छह दिसंबर को प्रशासन यहां से गायब हो जाएगा.’ इसके अलाव सपा का एक प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्य निर्वाचन अधिकारी से मुलाकात करके इटावा के जिलाधिकारी (DM)अविनाश कुमार राय और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जयप्रकाश सिंह पर सरकार के इशारे पर चुनाव प्रभावित करने की कोशिश का आरोप लगाया और इन दोनों को चुनाव कार्यों से फौरन हटाने की मांग की.
मुलायम सिंह के लिए वोट
डिंपल यादव ने कहा कि मैनपुरी की सीट मुलायम सिंह की परम्परागत सीट है और यहां के लोगों ने मुलायम सिंह को बहुत प्यार दिया है. पार्टी उन्ही के नाम पर वोट मांग रही है. उन्होने मैनपुरी के विकास के लिए बहुत काम किया है. पार्टी यहां अगामी उपचुनाव में इसी वास्तविकता के साथ लोगों के बीच जा रही है.
बीजेपी उम्मीदवार पर शिवपाव का निशाना
बीजेपी ने मैनपुरी से रघुराज सिंह शाक्य को उम्मीदवार बनाया है, और वो शिवपाल यादव के करीबी माने जाते है. उन्होने खुद को शिवपाल का शिष्य भी बताया है. लेकिन शिवपाल इस पर इंकार करते है. उन्होने कहा कि हमारी बहू के खिलाफ वो चुनाव लड़ रहे हैं और खुद को हमारा शिष्य बताते है. अगर वो हमारे असली शिष्य होते तो हमे छोड़कर क्यों जाते, और हमारी बहू के खिलाफ चुनाव ही क्यों लड़ते. उन्हे हमारे बीच ही रहना था, लेकिन वो चुपचाप भाजपा चले गए.
– भारत एक्सप्रेस