श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद (फाइल फोटो)
Mathura: आज मथुरा के लिए बड़ा दिन है. मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले के विवादित स्थल का सर्वे होगा कि नहीं, इस पर आज मथुरा जिला अदालत में फैसला होने वाला है. आज मथुरावासियों का सदियों पुराना इंतजार खत्म हो सकता है क्योंकि यहां साढ़े 300 साल पुराने विवाद पर अदालत अपना बड़ा फैसला सुना सकती है. ये साफ हो जाएगा कि मथुरा की जिला कोर्ट श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मामले के विवादित स्थल के सर्वे का आदेश देगी या फिर केस सुनने योग्य है या नहीं इस पर फैसला सुनाएगी.
श्रीकृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह विवाद मामले में पक्षकार महेंद्र प्रताप सिंह के रिवीजन दावे पर सुनवाई पूरी हो चुकी है. प्रतिवादी पक्ष भी अपनी दलील अदालत में रख चुका है. जिसके बाद बांके बिहारी की नगरी मथुरा (Mathura) में आज काफी हलचल है.
महेंद्र प्रताप सिंह ने पोषणीयता पर पहले सुनवाई के आदेश के खिलाफ जिला जज की अदालत में रिवीजन दायर किया था. जिला जज ने रिवीजन दावे को स्वीकार करते हुए सुनवाई के लिए एडीजे की अदालत में ट्रांसफर किया था. दावे में वादी महेंद्र प्रताप सिंह ने विवादित स्थल की सर्वे पर प्राथमिकता से सुनवाई की मांग रखी है. वहीं प्रतिवादी पक्ष शाही ईदगाह कमेटी और सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड 7 रूल 11 दावे की पोषणीयता पर पहले सुनवाई की मांग कर रहे हैं.
दिसम्बर 2022 में सिविल जज सोनिका वर्मा ने एक आदेश में शाही ईदगाह मस्जिद का अमीनी सर्वे कराने का निर्देश दिया था. मस्जिद को लेकर एक याचिका दायर की गई थी जिसमें मस्जिद को दूसरी जगह शिफ्ट करने की मांग की गई थी. हिंदू पक्ष का दावा है कि विवादित जगह पर पहले मंदिर हुआ करता था, जिस पर कब्जा करके मस्जिद बना दी गई. कोर्ट ने इसी याचिका पर जगह का सर्वे करने का आदेश दियाथा. आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष ने अदालत का दरवाजा खटखटाया जिसके बाद सर्वे के आदेश को होल्ड पर रख दिया गया.
हिंदू पक्ष का दावा है कि विवादित स्थल की जगह स्वास्तिक का चिह्न है, मस्जिद के अंदर कई मंदिर होने के प्रतीक हैं. साथ ही मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है.
क्या है पूरा मामला
मथुरा (Mathura) में कटरा केशवदेव भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि की 13.37 एकड़ भूमि पर विवाद है. जमीन के 11 एकड़ में श्रीकृष्ण जन्मभूमि बनी है. वहीं, 2.37 एकड़ हिस्सा शाही ईदगाह मस्जिद के पास है. विवाद की शुरुआत लगभग 350 साल पहले हुई थी, जब दिल्ली में औरंगजेब का राज था. कहा जाता है कि 1670 में औरंगजेब ने मथुरा की श्रीकृष्ण जन्म स्थान को तोड़ने का आदेश जारी किया था. जिसके बाद वहां पर ईदगाह मस्जिद बना दी गई.
ये भी पढ़ें: Agra: जी-20 समिट के बाद सड़कों के किनारे रखे गमले को उठाकर ले गए लोग, पुलिस की छापेमारी में 50 से अधिक गमले बरामद
देश की सर्वोच्च अदालत के फैसले के बाद अयोध्या में राम मंदिर का निर्माणकार्य तेजी से चल रहा है. काशी में ज्ञानवापी सर्वे के बाद भी कानूनी प्रक्रिया लगातार चल रही है. अब कृष्ण जन्मस्थान को लेकर फैसले की घड़ी आ गई है. श्रीकृष्ण पर आस्था रखने वाला हर सनातनी उम्मीद पाले हुए हैं कि अदालत का फैसला उनके हक में आएगा.
-भारत एक्सप्रेस