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Mathura: गोकुल में खेली गई फूलों की होली, जमकर गूंजी कान्हा की जयकार

कान्हा के भक्तों ने फूलों की होली के साथ-साथ टेसू के फूलों के रंग से भी होली खेली. इस दौरान भक्त कान्हा के जयकार लगाते हुए दिखाई दे रहे थे.

फूलों की होली खेलते लोग

Mathura Holi: गोकुल के रमणरेती स्थित गुरुशरणानंद जी महाराज के आश्रम में हर साल होने वाली पारंपरिक होली का आयोजन इस बार भी बड़े स्तर पर किया गया. इस मौके पर बड़ी संख्या में कान्हा के भक्तों ने फूलों की होली के साथ-साथ टेसू के फूलों के रंग से भी होली खेली. इस दौरान भक्त कान्हा के जयकार लगाते हुए दिखाई दे रहे थे. गुरु शरणानंद जी महाराज का मथुरा में गोकुल के नजदीक ‘श्रीउदासीन कार्ष्णि आश्रम में संतों ने भगवान और भक्तों के साथ होली खेली. इस आश्रम में हर साल होली का आयोजन किया जाता है और इस दौरान यहाँ खेली जाने वाली फूल होली इस आयोजन की विशेषता होती है.

इस साल भी रंग-बिरंगे फूलों की होली का आयोजन किया गया. इस बार की होली में सूखे फूलों के अलावा गुलाल और टेसू के फूलों से बने रंग का इस्तेमाल किया गया था जो काफी विशेष रहा. टेसू से बने इन प्राकृतिक रंगों की खासियत यह है कि इनसे शरीर को किसी भी तरह का नुकसान नहीं होता है. वार्षिकोत्सव में राधा-कृष्ण की रासलीला के समय हुए होली के रसिया गायन से यहाँ मौजूद भक्त पूरी तरह होली के रंग में रंगे नजर आये और पंडाल में बैठे-बैठे ही दोनों हाथों से ताली बजा कर होली के रसिया गीत गाने लगे. पूरे पंडाल का माहौल कृष्णमय हो गया. हर कोई राधा-कृष्ण के स्वरूपों के साथ होली खेलने के लिए आतुर दिखाई दे रहा था.

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सभी ये मौका पाकर खुद को बेहद आनंदित महसूस कर रहे थे. फूल होली से पहले यहाँ राधा-कृष्ण और सखियों की रासलीलाओं का मंचन किया गया. फूलों की इस खास होली में न केवल देश बल्कि विदेश से भी लोग पहुंचे थे. यहाँ पर होने वाली रास लीला में गाये जाने वाले होली के रसिया गीतो पर भी लोग नाचते-झूमते दिखाई दे रहे थे. बता दें कि इस होली में केवल आम लोग ही नहीं बल्कि साधू संत भी आनंद उठाने के लिए पहुंचते है और पिचकारियों से एक दूसरे पर खूब रंग डालते हुए होली खेलते हैं. गोकुल के रमणरेती आश्रम में हुई इस अलौकिक होली में संतों ने भक्तों और भगवान के साथ जमकर होली खेली. बता दें कि ब्रज में होली नहीं होरा मनाया जाता है.

इनपुट-अमित भार्गव

 

-भारत एक्सप्रेस

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