सुप्रीम कोर्ट.
16 साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़की की शादी की पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट द्वारा दी गई अनुमति के खिलाफ दायर याचिका पर जल्द सुनवाई के सुप्रीम कोर्ट ने भरोसा दिया है. सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सीजेआई से कहा कि मामले की सुलझाने की जरूरत है. एसजी ने कहा कि इसको लेकर अलग-अलग हाई कोर्ट अलग-अलग फैसले दे रहे है. जिस पर सीजेआई ने कहा कि इस मामले का जल्द निपटारा किया जाएगा.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने कहा था, मुस्लिम धर्म में यौन परिपक्वता के बाद निकाह को वैध माना जाता है और ऐसे में याची के खिलाफ पॉक्सो एक्ट व अपहरण का मामला नही बनता है. NCPCR ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए कहा है कि शारीरिक संबंध बनाने के लिए पॉक्सो कानून के तहत 18 साल की उम्र तय की गई है. ऐसे में पंजाब हरियाणा हाई कोर्ट का फैसला उस कानून के खिलाफ है, जो 16 साल की बच्ची की शादी की अनुमति नहीं देता है. हाई कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि हम अभी लड़की की उम्र के मामले में नहीं जाना चाहते क्योंकि यह तय करना ट्रायल कोर्ट का काम है. ऐसे में फिलहाल याची को किसी भी प्रकार की राहत से इंकार करते हुए हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिया था.
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बता दें कि 2024 में नाबालिग ने मजिस्ट्रेट के सामने दर्ज कराए बयान में कहा था कि वह अपने माता-पिता के साथ नही जाना चाहती. उसकी उम्र को देखते हुए उसे बाल गृह भेज दिया गया था. इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए याची ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट को बताया था कि इस साल जनवरी में एक निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में किए गए ओसिफिकेशन टेस्ट के अनुसार लड़की बालिग है. हरियाणा सरकार की ओर से नाबालिग का स्कूल रिकॉर्ड पेश किया गया, जिसके मुताबिक लड़की का जन्म मार्च 2008 में हुआ था और ऐसे में उसकी उम्र 15 साल नौ महीने है. याचिकाकर्ता ने कहा कि उसने पीड़ित से उसकी मर्जी से निकाह किया है.
-भारत एक्सप्रेस