बसपा सुप्रीमो मायावती (फोटो ANI)
Ramcharitmanas: ‘रामचरितमानस’ की कुछ चौपाइयों को लेकर सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा दिए गए विवादित बयान का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब इस विवाद में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की सुप्रीमो मायावती भी कूद गई हैं और उन्होंने अखिलेश के साथ ही भाजपा पर भी गंभीर आरोप लगाए हैं.
बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने बीजेपी और सपा को इस विवाद का जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि ये बीजेपी और सपा की मिलीभगत है. मायावती ने रामचरितमानस विवाद पर सपा नेतृत्व की चुप्पी पर भी सवाल उठाए हैं. मायावती ने कहा कि नए-नए विवाद खड़े करके जनता को असल मुद्दों से भटकाने की कोशिश हो रही है. हिंदू-मुस्लिम ध्रुवीकरण की कोशिश का आरोप लगाते हुए भी मायावती ने बीजेपी और सपा पर निशाना साधा है.
2.रामचरितमानस के विरुद्ध सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर भाजपा की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलन्त मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके।
— Mayawati (@Mayawati) January 30, 2023
मायावती ने क्या कहा
मायावती ने ट्वीट करते हुए कहा कि ‘संकीर्ण राजनीतिक व चुनावी स्वार्थ हेतु नए-नए विवाद खड़े करके जातीय व धार्मिक द्वेष, उन्माद-उत्तेजना व नफरत फैलाना, बॉयकाट कल्चर, धर्मांतरण को लेकर उग्रता आदि बीजेपी की राजनीतिक पहचान सर्वविदित है किन्तु रामचरितमानस की आड़ में सपा का वही राजनीतिक रंग-रूप दुखद व दुर्भाग्यपूर्ण.
सपा-बीजेपी पर लगाए ये आरोप
मायावती ने लिखा, “रामचरितमानस के विरुद्ध सपा नेता की टिप्पणी पर उठे विवाद व फिर उसे लेकर बीजेपी की प्रतिक्रियाओं के बावजूद सपा नेतृत्व की चुप्पी से स्पष्ट है कि इसमें दोनों पार्टियों की मिलीभगत है, ताकि आगामी चुनावों को जनता के ज्वलंत मुद्दों के बजाए हिन्दू-मुस्लिम उन्माद पर पोलाराइज किया जा सके.” एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा, “उत्तर प्रदेश में विधानसभा के हुए पिछले आमचुनाव को भी सपा-बीजेपी ने षडयंत्र के तहत मिलीभगत करके धार्मिक उन्माद के जरिए घोर साम्प्रदायिक बनाकर एक-दूसरे के पूरक के रूप में काम किया, जिससे ही बीजेपी दोबारा से यहां सत्ता में आ गई. ऐसी घृणित राजनीति का शिकार होने से बचना जरूरी.”
जानें क्या है पूरा मामला
बता दें कि हाल ही में सपा एसएलसी स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू धर्मग्रंथ श्रीरामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करते हुए कहा था कि रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते. उन्होंने सरकार से इस पर प्रतिबंध तक लगाने की मांग तक कर दी. मौर्य ने रामचरितमानस को बकवास बताते हुए इसकी कुछ चौपाइयां हटवाने की मांग की थी. इसी के बाद उन्होंने संतों व महंतों पर भी विवादित टिप्पणी की थी. इसी मुद्दे को लेकर प्रदेश भर में भारी बवाल चल रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.