बसपा सुप्रीमो मायावती (फोटो फाइल)
UP Politics: नया साल शुरू हो गया है. आज नए साल (2024) का पहला दिन हैं. इस अवसर पर बसपा प्रमुख मायावती (Mayawati) ने नए साल की बधाई दी है. इसी के साथ ही उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोला है और बेरोजगारी, गैर बराबरी, आर्थिक असमानता जैसे मुद्दे उठाए हैं. इसी के साथ ही कांग्रेस व बीजेपी की नीतियों पर भी टिप्पणी की है.
2. इस नववर्ष से सरकार केवल ’रोज़गार की गारण्टी’ सुनिश्चित कर सच्ची देशभक्ति व राजधर्म का निर्वहन करे, क्योंकि बाकी सरकारी गारण्टियाँ संकीर्ण राष्ट्रवाद के छलावा की राजनीति ज्यादा साबित हुई है, जिस कारण लगभग 100 करोड़ लोगों का जीवन लगातार गरीब, पिछड़ा, मजलूम व मोहताज बना हुआ है।
— Mayawati (@Mayawati) January 1, 2024
नए साल के मौके पर बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने आधिकारिक सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट शेयर करते हुए जनता को नए साल की शुभकामनाएं दी है और एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कहा है कि, ‘देश व दुनिया भर में रहने वाले भारतीय भाई-बहनों एवं उनके परिवार को नववर्ष सन् 2024 की दिली मुबारकबाद. यह साल आप सब के लिए आत्म-सम्मान के साथ सुख, शान्ति, सुरक्षा व सफलता लेकर आए इसकी शुभकामनाएं, ताकि आर्थिक असमानता व अन्य गैर-बराबरी आदि से मुक्त लोगों का जीवन ख़ुश-ख़ुशहाल बने.’
इसी के साथ मायावती ने एक अन्य पोस्ट में मोदी सरकार पर निशाना साधा है और कहा है कि, ‘इस नववर्ष से सरकार केवल ’रोज़गार की गारण्टी’ सुनिश्चित कर सच्ची देशभक्ति व राजधर्म का निर्वहन करे, क्योंकि बाकी सरकारी गारण्टियाँ संकीर्ण राष्ट्रवाद के छलावा की राजनीति ज्यादा साबित हुई है, जिस कारण लगभग 100 करोड़ लोगों का जीवन लगातार गरीब, पिछड़ा, मजलूम व मोहताज बना हुआ है.’
4. कुल मिलाकर पहले कांग्रेस और अब भाजपा की लम्बी चली जातिवादी, अहंकारी व गै़र-समावेशी सरकार के दुष्प्रभाव से करोड़ों ग़रीबों का विकास प्रभावित। अतः अब इस संसदीय चुनाव वर्ष में जनहित व जनकल्याण को समर्पित बहुजनों के उम्मीदों की सर्वजन हितैषी सरकार बनाएं, लोगों से यही पुरज़ोर अपील।
— Mayawati (@Mayawati) January 1, 2024
विकसित भारत पर खड़े किए सवाल
एक अन्य पोस्ट में मायावती ने भाजपा के विकसित भारत अभियान पर सवाल खड़े किए हैं और कहा है कि, ‘देश में मामूली प्रति व्यक्ति आय अर्थात् लोगों की जेब में खर्च के लिए पैसे ही न हों तो ’विकास’ का ढिंढोरा लोगों के किस काम का? साथ ही, बेरोज़गारों की भारी फौज के साथ ’विकसित भारत’ कैसे संभव? देश की विशाल आबादी के हिसाब से रोजगार के अवसर की जरूरत, ऊँट के मुँह में ज़ीरा नहीं. मायावती ने अपनी बात को जारी रखते हुए अगले पोस्ट में कहा है कि, ‘कुल मिलाकर पहले कांग्रेस और अब भाजपा की लम्बी चली जातिवादी, अहंकारी व गै़र-समावेशी सरकार के दुष्प्रभाव से करोड़ों ग़रीबों का विकास प्रभावित. अतः अब इस संसदीय चुनाव वर्ष में जनहित व जनकल्याण को समर्पित बहुजनों के उम्मीदों की सर्वजन हितैषी सरकार बनाएं, लोगों से यही पुरज़ोर अपील.’
-भारत एक्सप्रेस
इस तरह की अन्य खबरें पढ़ने के लिए भारत एक्सप्रेस न्यूज़ ऐप डाउनलोड करें.