मृतक बच्चे की फाइल फोटो (सोशल मीडिया)
Meerut News: उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से रूह कंपा देने वाली खबर सामने आ रही है. यहां कुत्ते के काटने से 12 साल के बच्चे को रेबीज इंफेक्शन होने के बाद उसकी तड़प-तड़प कर मौत हो गई है. इसके बाद से परिवार में कोहराम मच गया है. इस घटना के बाद पीड़ित पिता ने आरोप लगाया है कि सिस्टम की लापरवाही की वजह से उन्होंने अपने कलेजे के टुकड़े को खोया है. तो वहीं इलाके के लोगों का कहना है कि आवारा कुत्तों की नसबंदी व एंटी रेबीज टीकाकरण की रफ्तार बेहद कम होने के कारण घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं और कुत्तों के काटने से लगातार महानगर में मौतें हो रही हैं.
गली के आवारा कुत्ते ने काटा था बच्चे को
मेरठ के महानगर निवासी धन्नू ट्रैक सूट बनाने की फैक्ट्री में काम करते हैं. धन्नू ने बताया कि 28 अगस्त को उनका बेटा दुष्यंत गली में खड़ा था तभी एक कुत्ते ने उसके दाएं पैर में काट लिया. कुत्ते की उम्र करीब छह माह की थी. धन्नू ने बताया कि उसे तुरंत निजी चिकित्सक के पास ले गए. डाक्टर ने बेटे को टिटनेस का इंजेक्शन लगाकर घर भेज दिया लेकिन एक सप्ताह पहले दुष्यंत के उसी पैर में दर्द बताया और फिर उसे बुखार हो गया और उसकी सांस फूलने लगी. वह पानी से भी डरने लगा. इस पर आनन-फानन में बेटे को शनिवार को फिर उसी चिकित्सक के पास ले गए. इस पर चिकित्सक ने उसे जिला अस्पताल भेज दिया और फिर हालत बिगड़ने पर जिला अस्पताल से दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल रेफर कर दिया गया है और वहां से गुरु तेगबहादुर अस्पताल और फिर एम्स भेजा गया, जहां से चिकित्सकों ने उसको घर भेज दिया और कहा कि शरीर में रेबीज पूरी तरह फैल गया है और इलाज नहीं हो सकता. इसके बाद रविवार की रात में बेटे ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया. धन्नू के तीन और बेटे 16 वर्षीय रितिक, 14 वर्षीय चीनू् व नौ वर्षीय नितिश है. इस घटना के बाद से ही कोहराम मचा हुआ है. ब्रजघाट ले जाकर परिजनों ने किशोर का अंतिम संस्कार किया है.
टीकाकरण में बरती जा रही है लापरवाही
इलाकाई लोगों का कहना है कि एक अनुमान के मुताबिक महानगर में एक लाख से अधिक आवारा कुत्ते सड़कों पर घूम रहे हैं. नगर निगम ने डेढ़ साल पहले एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर स्थापित किया और अब तक 11,500 आवारा कुत्तों की नसबंदी व एंटी रेबीज टीकाकरण किया गया है. लोगो ने बताया कि आवारा कुत्तों को अगर एंटी रेबीज वैक्सीनेशन किया जाता है तो काटने पर रेबीज संक्रमण का खतरा कम रहता है. जानकारों का कहना है कि अगर आंकड़ों पर ध्यान दिया जाए तो आवारा कुत्तों की संख्या के सापेक्ष अभी 11 प्रतिशत को ही एंटी रेबीज टीकाकरण हुआ है. नसबंदी व एंटी रेबीज टीकारकण की यह गति बेहद धीमी है और खतरा लगातार बढ़ता जा रहा है.
प्रतिदिन इतने मामले आते हैं कुत्तों के काटने के
मिली जानकारी के मुताबिक, जिला अस्पताल के एंटी रेबीज टीकाकरण यूनिट में करीब रोज 125 से अधिक कुत्तों के काटने के मामले आते हैं. पूरे एक महीने में करीब चार हजार से अधिक एंटी रेबीज इंजेक्शन जिला अस्पताल में खप रहे हैं. ये आंकड़े स्वास्थ्य विभाग के रजिस्टर में भी दर्ज किए जा रहे हैं. ताज्जुब की बात ये है कि यह जानकारी शासन तक पहुंचने के बावजूद भी एनिमल बर्थ कंट्रोल कार्यक्रम पर जोर नहीं दिया जा रहा है. वहीं सूत्रों की मानें तो शासन ने पिछले ही महीने एक और एनिमल बर्थ कंट्रोल सेंटर बनाने के लिए धनराशि स्वीकृति की है. स्थानीय लोगों ने नगर निगम पर आरोप लगाया है कि इस सेंटर के निर्माण को लेकर भी नगर निगम में कुछ ज्यादा दिलचस्पी दिखाई नहीं दे रही है. नतीजतन आवारा कुत्तों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है और कुत्तो के काटने के साथ ही लोगों को अपनी जान से हाथ भी धोना पड़ रहा है.
कुत्ता काटे तो ये बरतें सावधानी
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्साधिकारी डा.यशवीर सिंह ने मीडिया को जारी बयान में बताया कि अगर आवारा या पालतू कुत्ता काटता है तो बिना देरी किए पीड़ित व्यक्ति को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवा लेने चाहिए. कुत्ता जैसै ही काटे तो पहले जख्म को साबुन से धोएं और फिर 24 घंटे के भीतर टिटनस व एंटी रेबीज इंजेक्शन की पहली डोज जरूर लगवा लें. अगर कुत्ते ने कई जगह और गर्दन के ऊपर के हिस्से में काटा है तो एंटी रेबीज सीरम इंजेक्शन लगवाएं. यह इंजेक्शन जख्म पर ही लगाया जाता है.
डा. यशवीर सिंह ने बताया कि, जिला अस्पताल में एंटी रेबीज इंजेक्शन रेबीज टीकाकरण यूनिट में प्रतिदिन लगाए जाते हैं, जबकि एंटी रेबीज सीरम इंजेक्शन के लिए पीड़ित को दिल्ली रेफर किया जाता है. उन्होंने कहा कि, एंटी रेबीज सीरम इंजेक्शन भी कुत्ते के काटने के 24 घंटे के भीतर लगाना जरूरी है. डाक्टर ने सलाह दी है कि, कुल चार डोज एक महीने में लेनी जरूरी होती है. तय अवधि में एंटी रेबीज इंजेक्शन की डोज लेने से रेबीज संक्रमण फैलने का खतरा बहुत कम हो जाता है. इस बात का ध्यान रखना चाहिए.
डा.यशवीर ने आगे जानकारी दी कि जो कुत्ता काटे उस पर लगातार नजर रखें. अगर काटने के बाद कुत्ते की मौत हो जाती है तो ये माना जाता है कि कुत्ता रेबीज से संक्रमित था और ऐसी स्थिति में पीड़ित व्यक्ति को एंटी रेबीज इंजेक्शन लगवाने में देरी करने पर रेबीज संक्रमण फैलने का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए ऐसे मामले में लापरवाही नहीं करनी चाहिए और तुरंत चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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