Data Protection Bill ( प्रतीकात्मक तस्वीर)
Data Protection Bill: मोदी कैबिनेट ने बुधवार को डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दे दी. विधेयक का प्रारंभिक मसौदा पिछले वर्ष नवंबर में पेश किया गया था. इस पर कई बार विचार विमर्श भी किया गया. इन परामर्शों के दौरान मिले फीडबैक को ध्यान में रखते हुए, एक दूसरा मसौदा तैयार किया गया. इस विधेयक का भारत में डिजिटल पर्सनल डेटा के प्रसंस्करण पर अधिकार क्षेत्र होगा. यह विधेयक भारत के बाहर डेटा के प्रसंस्करण पर भी लागू होगा यदि इसमें भारत में वस्तुओं या सेवाओं की पेशकश या व्यक्तियों की प्रोफाइलिंग शामिल है.
इससे आपके लिए क्या बदलेगा?
देश दुनिया में पिछले कुछ सालों से लगातार बदलाव हो रहा है. इसके साथ-साथ डिजिटल वर्ल्ड भी चेंज हो रहा है. तमाम सोशल मीडिया कंपनी यूजर्स के डेटा को इकट्ठा करते हैं. इस डेटा का गलत इस्तेमाल न हो, इसलिए बिल को मंजूरी दी गई है. बता दें कि सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रियता प्राइवेसी के लिए खतरा पैदा कर सकती है. ये कंपनियां गोपनीय जानकारियों में सेंध लगा रही है. फेसबुक (Facebook), इंस्टाग्राम और ट्विटर (Twitter) पर कुछ लोग मिनट-टू-मिनट अपडेट देते रहे हैं. इसी डेटा का इस्तेमाल सोशल कंपनियां प्रचार के लिए करती है. डेटा प्रोटेक्शन बिल से इस पर लगाम लगेगा.
मालूम हो कि सोशल मीडिया पर बिना आपको सूचित किए लोग आपकी तस्वीरें, वीडियो और दूसरे कंटेंट चुरा सकते हैं. ऐसे कंटेंट की ऑनलाइन डार्कवेब पर सेल भी जो जाती है. ऐसी स्थिति में ज्यादा सावधान रहने की जरूरत पड़ती है. वेब पर रहने वाली हर चीज सुरक्षित नहीं है. आपकी पर्सनल डीटेल्स बिक सकती है. कई इंटरनेट ट्रैकिंग कंपनियां हैं जो इसका गलत इस्तेमाल कर सकती हैं. अब सरकार इस बिल के माध्यम से इन पर लगाम लगाने जा रही है.
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पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा था कि संसद के मानसून सत्र में डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक और दूरसंचार विधेयक पारित होने की उम्मीद है. इससे पहले अप्रैल 2023 में, केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि एक नया डेटा संरक्षण विधेयक तैयार है और जुलाई में संसद के मानसून सत्र में पेश किया जाएगा क्योंकि शीर्ष अदालत ने सोशल मीडिया उपयोगकर्ताओं की गोपनीयता संबंधी चिंताओं से संबंधित मामले की सुनवाई की थी.
डेटा प्रोटेक्शन बिल क्या है?
डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल एक ऐसा कानून है जो डिजिटल नागरिक के अधिकारों और कर्तव्यों को निर्धारित करता है. इस विधेयक से व्यक्तिगत डेटा के उपयोग को नियंत्रित और सुरक्षित करना संभव होगा. यह बिल डेटा अर्थव्यवस्था के छह सिद्धांतों पर आधारित है जिनमें से पहला भारत के नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा के संग्रह और उपयोग के बारे में बात करता है. व्यक्तिगत डेटा का संग्रह और उपयोग वैध होना चाहिए, उल्लंघन से संरक्षित किया जाना चाहिए और पारदर्शिता बनाए रखी जानी चाहिए. दूसरा सिद्धांत डेटा संग्रह अभ्यास के बारे में बात करता है जो कानूनी उद्देश्य के लिए होना चाहिए और उद्देश्य पूरा होने तक डेटा को सुरक्षित रूप से संग्रहीत किया जाना चाहिए.