सीएम य़ोगी आदित्यनाथ
UP Assembly Monsoon Session: यूपी विधानसभा मानसून सत्र के दूसरे दिन सदन में मंगलवार को 43 साल बाद मुरादाबाद दंगों की एसआईटी जांच रिपोर्ट सदन में पेश की गई और इसके बाद मुरादाबाद की घटना को लेकर बड़ा खुलासा हुआ. रिपोर्ट में मुस्लिम लीग के दो नेताओं के राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते दंगा कराने की बात कही गई है. वहीं मुस्लिम समुदाय में नेता को लेकर चल रही खींचतान के चलते दंगा होने की बात भी कही गई है.
सूत्रों की मानें तो इन दंगों में करीब 83 लोगों की जान चली गई थी और 100 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. उस समय राज्य में वीपी सिंह के नेतृत्व वाली कांग्रेस की सरकार थी और सबसे बड़ी बात कि ये दंगा ईद के दिन शुरू हुआ था. जांच आयोग ने नवंबर 1983 में मुरादाबाद में हुए इन दंगों की रिपोर्ट सरकार को सौंप दी थी, लेकिन सरकार ने कभी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया था. वहीं हाल ही में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस रिपोर्ट का सार्वजनिक करने का फैसला किया. हालांकि इसे रिपोर्ट की बात सामने आने के बाद जमकर सियासत हुई और कांग्रेस के साथ ही सपा ने भी इस रिपोर्ट को सार्वजनिक किए जाने का विरोध किया था.
मुरादाबाद में 43 साल पहले भड़का था दंगा
1980 अगस्त में मुरादाबाद की ईदगाह में दंगा भड़का था. अगर मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इस दंगे में मुस्लिम समुदाय ने स्थानीय दुकानों पर हमला बोल दिया था और फिर मार-काट मच गई थी. इस दंगे में मुस्लिमों की जान भी चली गई थी. इस दौरान मुस्लिम और वाल्मीकि समुदाय के लोग आमने-सामने आ गए थे. इसके बाद इन दंगों की जांच के लिए जस्टिस सक्सेना की कमेटी ने रिपोर्ट बनाई गई थी और फिर 20 फरवरी 1983 को जांच रिपोर्ट सौंप दी गई थी.
क्या है रिपोर्ट में
सदन में पेश हुई मुरादाबाद घटना की रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मुस्लिम लीग के दो नेताओं ने राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते दंगा भड़काया था और ईदगाह और अन्य स्थानों पर गड़बड़ी पैदा करने के लिए कोई भी सरकारी अधिकारी कर्मचारी या हिंदू उत्तरदाई नहीं था. इसी के साथ रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि दंगों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ या भारतीय जनता पार्टी कहीं भी सामने नहीं आई थी. आम मुसलमान भी ईदगाह पर उपद्रव करने के लिए उत्तरदाई नहीं था.
रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि डॉक्टर शमीम अहमद के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग और डॉक्टर हामिद हुसैन उर्फ डॉक्टर अज्जी के नेतृत्व वाले खाकसारो और उनके समर्थकों और भाड़े के व्यक्तियों की कारगुजारी थी. यह पूरा दंगा पूर्व नियोजित तथा उनके दिमाग की उपज था.
-भारत एक्सप्रेस