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MP: कूनों नेशनल पार्क में मादा चीते ‘दक्षा’ की मौत, चीतों के बीच हुई थी लड़ाई, पहले भी दो की हो चुकी है मौत

MP: विदेश से मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क लाए गए अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है. पहले दो चीतों की मौत की वजह बीमारी थी.

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कूनो नेशनल पार्क में छोड़े गए चीते (फोटो-ANI)

MP: मध्य प्रदेश के कूनो नेशनल पार्क में एक और चीते की मौत हो गई है. इसे भी दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था. मृत पाई गई मादा चीता का नाम दक्षा है और उसकी मौत के पीछे की वजह एक अन्य चीते से लड़ाई बताई जा रही है. बता दें कि विदेश से लाए गए अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है. पहले दो चीते से एक की मौत किडनी के इंफेक्शन की वजह से तो दूसरे चीते की मौत कार्डियक अरेस्ट की वजह से हुई थी.

चीतों की लड़ाई में गई जान

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार दक्षिण अफ्रीका से कूनो नेशनल पार्क में लाई गई मादा चीता दक्षा को मॉनिटरिंग दल ने 9 मई की सुबह 10 बजकर 45 मिनट पर घायल अवस्था में पाया. जिसके तत्काल बाद पशु चिकित्सकों ने उसका उपचार करना शुरु कर दिया. दोपहर 12ः00 बजे दक्षा चीता की दुखद मृत्यु हो गई. दक्षा बाड़ा क्रमांक एक में छोड़ी गई थी तथा समीप के बाड़ा क्रमांक सात में दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीता वायु तथा अग्नि को छोड़ा गया था.

विशेषज्ञों ने दी थी यह सलाह

कूनो में 30 अप्रैल को हुई एक बैठक हुई थी इसमें नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के आईजी डॉ. अमित मल्लिक, दक्षिण अफ्रीका से आए प्रो. एड्रियन टोर्डिफ, दक्षिण अफ्रीका से आये चीता मेटा पापुलेशन इनिशियटिव के विन्सेंट वेन डार और भारतीय वन्यजीव संस्थान के डॉ. कमर कुरैशी उपस्थित रहे थे. इस बैठक में ही यह तय हुआ था कि बाड़ा क्रमांक सात में मौजूद दक्षिण अफ्रीका से आए चीता कोयलिशन अग्नि और वायु को मादा चीता दक्षा के साथ रखा जाए, इसके बाद बाड़ा क्रमांक सात और एक के बीच का गेट एक मई को खोला गया था. छह मई को एक नर चीता दीक्षा चीता के बाड़े में दाखिल हुआ था.

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चीते के हमला का हुई शिकार

विशेषज्ञों का कहना है कि मादा चीता दक्षा पर जो घाव पाए गए हैं, वह पहली नजर में चीते का हमला प्रतीत हो रहे हैं. दरअसल, मेटिंग के दौरान चीतों के बीच हिंसक व्यवहार सामान्य है. ऐसी स्थिति में निगरानी टीम की ओर से हस्तक्षेप की संभावना लगभग न के बराबर होती है. नियमानुसार मादा चीता का पोस्टमॉर्टम विशेषज्ञों की टीम कर रही है.

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