जयशंकर दूसरे ईयू इंडो-पैसिफिक मिनिस्ट्रियल फोरम (ईआईपीएमएफ) में भाग लेने के लिए स्वीडन की अपनी पहली यात्रा पर शनिवार को स्टॉकहोम पहुंचे. यूरोपीय संघ (ईयू) हिंद-प्रशांत मंत्रिस्तरीय बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि हिंद-प्रशांत वैश्विक राजनीति की दिशा में तेजी से केंद्रीय भूमिका में पहुंच रहा है. यह जिन मुद्दों को उठाता है उनमें वैश्वीकरण के स्थापित मॉडल में निहित समस्याएं हैं.

उन्होंने कहा कि हिंद-प्रशांत एक जटिल और अलग परिदृश्य है जिसे अधिक गहन जुड़ाव के माध्यम से बेहतर तरीके से समझा जा सकता है. जयशंकर ने कहा कि केवल संकट के समय तक सीमित ना रहकर हिंद-प्रशांत और भारत और यूरोपीय संघ को नियमित, व्यापक और सार्थक बातचीत की जरूरत है. जयशंकर बांग्लादेश से स्वीडन पहुंचे थे. बांग्लादेश में उन्होंने शुक्रवार को छठे हिंद महासागर सम्मेलन को संबोधित किया.

ये भी पढ़ें- कश्मीरी छात्र अफिफा बतूल ने अखिल भारतीय ऑरेंज ग्लोबल ओलंपियाड में पहली रैंक हासिल की

एस जयशंकर ने कहा कि राजनीति के कारण थिएटरों को अलग करने वाली कृत्रिम रेखाएँ अब अधिक एकीकृत अस्तित्व के साथ आ रही हैं. वे भारत-प्रशांत के देशों के बीच विभिन्न क्षमताओं, व्यापक गतिविधियों और साझा प्रयासों को भी दर्शाते हैं.

इंडो-पैसिफिक ही वैश्विक राजनीति की दिशा में उत्तरोत्तर केंद्रीय होता जा रहा है. जिन मुद्दों को यह सामने लाता है, उनमें वैश्वीकरण के स्थापित मॉडल में निहित समस्याएं हैं। ईएएम ने कहा कि हाल की घटनाओं ने आर्थिक एकाग्रता के साथ समस्याओं को उजागर किया है, साथ ही विविधीकरण की आवश्यकता  को भी दर्शाया है।