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Dimapur: कम्युनिटी अवेयरनेस एंड डेवलपमेंट (CAD) फाउंडेशन की एक महिला टीम ने 2013 में आपराधिक गतिविधियों, बूज ज्वाइंट्स, ड्रग्स कार्टेल और वेश्यावृत्ति से प्रभावित क्षेत्र के केंद्र में एक मिशन पर काम किया. यहां महिलाओं को लिंग-संवेदनशील सेवा प्रदान करने के लिए मादक द्रव्यों का सेवन करने वालों का पता लगाया गया. उस समय दीमापुर की वेस्टयार्ड कॉलोनी, (जिसे रेलवे कॉलोनी के रूप में भी जाना जाता है) अपराध का कुख्यात क्षेत्र मानी जाती थी. यह एक ठगों का अड्डा था जिसे नो गो जोन से जाना जाता था. यह वह जगह थी जहां नशीली दवाओं से लेकर, शराबियों के लिए नशे का अड्डा, जेबकतरे दिन में छीना-झपटी किया करते थे. जिसकी वजह से आम लोगों ने यहां हर कीमत पर काम करने से मना किया.
CAD की महिला टीम के मुताबिक, यहां संपर्क विकसित करने और नशीली दवाओं के उपयोगकर्ताओं के साथ बातचीत करने के लिए एक ‘हॉटस्पॉट’ भी था. इसलिए यहां उन तक पहुंचने के लिए परिवर्तनकारी कार्यक्रमों को चलाया गया. टीम ने बताया कि पहले दिन धमकियों से भरा हुआ रहा था. यहां प्रोग्राम मैनेजर और उनकी टीम के लिए वेस्टयार्ड कॉलोनी में फीमेल इंजेक्शनिंग ड्रग यूजर (FIDU) केंद्र में सौंपा गया.
प्रोग्राम मैनेजर लोचुमलो ने बताया कि यहां हम महिलाओं का एक ग्रुप बना था, जो चारों ओर शराब की दुकानों से घिरे हुए था, ठगों की भरमार थी. उपयोगकर्ता खुले में ड्रग्स का इंजेक्शन लगा रहे थे, हर जगह मारपीट कर रहे थे. कई बार लोग नशे में धुत होकर हमारे ऑफिस के कॉरिडोर में सोते थे. यह बहुत डरावना था.
दीमापुर में नशीली दवाओं का उपयोग करने वाले समुदाय के बीच एक महत्वपूर्ण समूह के रूप में महिलाओं के उभरने के साथ, लेकिन बड़े पैमाने पर एक छिपी हुई आबादी, उनके लिए एक लिंग-संवेदनशील, दवा रोकथाम और देखभाल प्रतिक्रिया सेवा अनिवार्य थी.
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