
Naresh Tikait Indus Water Treaty Reactions: पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत-पाक संबंधों में बढ़े तनाव के बीच किसान नेता नरेश टिकैत के सिंधु जल संधि पर दिए बयान ने देशभर में विवाद खड़ा कर दिया है. टिकैत ने कहा कि पाकिस्तान के किसानों को पानी मिलना चाहिए क्योंकि वहां भी किसान हैं. उन्होंने संधि तोड़ने के फैसले को गलत बताया.
“पाकिस्तान के किसान भी किसान हैं” – नरेश टिकैत
मीडिया से बातचीत में नरेश टिकैत ने कहा, “संधि तोड़ना गलत है. किसान चाहे कहीं भी हो, उसे पानी मिलना चाहिए. पाकिस्तान में भी किसान हैं, वे आतंकवादी नहीं हैं.” उनका यह बयान ऐसे समय पर आया है जब देश में पाकिस्तान के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया जा रहा है.
On the Indus Water Treaty, farmer leader Naresh Tikait says “This is a wrong decision. The treaty should have continued. We are against this. We are farmers and every farmer needs water.”
(file pic) pic.twitter.com/aF93oawRNp
— ANI (@ANI) April 28, 2025
देशभर में विरोध, दिल्ली के डिप्टी सीएम ने धिक्कारा
दिल्ली के डिप्टी सीएम प्रवेश साहिब सिंह ने नरेश टिकैत को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि “जो लोग पाकिस्तान के किसानों की चिंता कर रहे हैं, वे न भारत के सच्चे नागरिक हैं और न किसानों के सच्चे हितैषी.” उन्होंने टिकैत भाइयों को राष्ट्रविरोधी करार देते हुए यहां तक कह दिया कि “अगर पाकिस्तान से इतनी हमदर्दी है, तो भारत छोड़ पाकिस्तान चले जाएं.”
राकेश टिकैत ने किया भाई नरेश टिकैत का बचाव
हरियाणा के करनाल में राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत में कहा कि नरेश टिकैत के बयान को तोड़ा-मरोड़ा गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि, “हम सरकार और सेना के साथ हैं. सख्त निर्णय लिए जाएं, हम समर्थन में रहेंगे. प्रेस के सवालों के जवाब में उन्होंने कुछ कहा, उसका गलत अर्थ निकाला गया है.”
#WATCH | Karnal, Haryana: On farmer leader Naresh Tikait’s statement, farmer leader Rakesh Tikait says “A lot of people from the Press were questioning him about the issue (Indus Water Treaty)…There is no such intention. We are with the government and our armed forces on this… https://t.co/hzYhZp6ouh pic.twitter.com/iLo6JzDWgz
— ANI (@ANI) April 28, 2025
अब किसान संगठनों में मतभेद उभरते दिख रहे
इस बयान के बाद विभिन्न किसान संगठनों में मतभेद उभरते दिख रहे हैं. कई संगठनों ने नरेश टिकैत के बयान से दूरी बना ली है और इसे राष्ट्रहित के खिलाफ बताया है. वहीं कुछ किसान नेता अब भी टिकैत भाइयों के साथ खड़े हैं.
सिंधु जल संधि जैसे संवेदनशील मुद्दे पर बयानबाजी ने एक बार फिर दिखा दिया है कि शब्दों का चयन कितना महत्वपूर्ण है. नरेश टिकैत के बयान ने जहां उन्हें भारी विरोध का सामना करवाया, वहीं राकेश टिकैत की सफाई से मामला कुछ हद तक शांत हुआ है. हालांकि, सरकार और आम जनमानस का मूड अब स्पष्ट है—राष्ट्रवाद से कोई समझौता नहीं.
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