Bharat Express

Holi: लखनऊ के नवाबों को भी खूब पसंद थी होली, जानें कैसे खेलते थे और किन रंगों का करते थे इस्तेमाल

Lucknow: इतिहासकार बताते हैं कि नवाब आसफुद्दौला हर साल पांच लाख रुपये से होली खेलते थे और जमकर जश्न मनाते थे. अवध के छठे नवाब सआदत अली खान भी खूब होली खेलते थे.

holi

सांकेतिक फोटो-सोशल मीडिया

Holi: होली हो और लखनऊ के नवाबों के होली खेलने का जिक्र न हो, ऐसा भले कैसे हो सकता है. आखिर होली का ये रंग ही तो है, जो गंगा-जमुनी तहजीब को एक सूत्र में पिरोने का काम हमेशा से करता आ रहा है. भारत पर भले ही किसी का भी शासन रहा हो पर होली का रंग कभी भी फीका नहीं पड़ा. यही वजह रही कि अवध के नवाबों से लेकर अंग्रेज तक जब तक भारत में रहे, तब तक होली के रंग में डूबे ही नजर आए. तो आइए देखते हैं कि लखनऊ के नवाब किस तरह होली मनाते थे और किन रंगों से होली खेलते थे.

पांच लाख की खेलते थे होली

इतिहास के पन्ने अगर पलटें तो मालूम होता है कि नवाब आसफुद्दौला 1775 से लेकर 1797 तक अवध के नवाब रहे. बताया जाता है कि नवाब आसफुद्दौला को होली खेलने का बहुत शौक था.‌ उन्होंने 22 साल शासन किया और हर साल पांच लाख रुपये से होली खेलते थे और जश्न मनाते थे. अवध के छठे नवाब सआदत अली खान ने भी खूब होली खेली है. लेकिन एक सवाल जो हर किसी के अंदर सवाल पैदा करता है कि आखिर लखनऊ के नवाब किन रंगों से होली खेलते थे.

पढ़ें ये भी- Vrindavan Holi: राधे-राधे की धुन में झूमे विदेशी, जमकर खेली फूलों की होली, वीडियो वायरल

जानें क्या कहते हैं इतिहासकार

इस सम्बंध में इतिहासकार डॉ. रवि भट्ट ने मीडिया को जानकारी दी कि उस दौर में अलग-अलग फूलों से होली के रंगों को तैयार किया जाता था. खासतौर पर टेसू के फूल जिसे पलाश कहते हैं, इससे रंग तैयार किए जाते थे. सबसे पहले इन फूलों को पानी में भिगो देते थे. फिर इन्हें उबालकर धूप में सुखाकर और पीसकर रंग तैयार किया जाता था. इससे जो रंग तैयार होता था. वह थोड़ा पीला और नारंगी होता था. कहते हैं कि राधा-कृष्ण भी टेसू के फूलों से ही रंग बनाकर होली खेलते थे. इसके अलावा गेंदे के फूल से भी पीला रंग तैयार होता था. यही नहीं कुछ लोग चुकंदर और पालक का भी इस्तेमाल रंग बनाने में करते थे.

आज भी पुराने लखनऊ में खेली जाती है फूलों की होली

जानकार बताते हैं कि आज भी पुराने लखनऊ में नवाबों की उसी परम्परा को निभाया जाता है और यहां हिंदू-मुस्लिम सब एक होकर फूलों के रंग से बने रंग की होली खेलते हैं. बताया जाता है कि सबसे पहले अलग-अलग फूलों को लेकर इन्हें धोया जाता है. फिर धीमी आंच पर उबाला जाता है. फिर धूप में सुखाकर इन्हें पीस लिया जाता है और पीसकर इनसे रंग तैयार किया जाता है. हालांकि मेहनत और वक्त दोनों ही अधिक लगने की वजह से अब लोग फूलों से रंग कम ही तैयार करते हैं, लेकिन मार्केट में भी अब हर्बल रंग आ गए हैं, तो उनकी ही इस्तेमाल कर लिया जाता है, लेकिन कुछ भी हो चाहे शगुन के तौर पर ही हो, लेकिन पुराने लखनऊ में अभी भी फूलों से बने रंग से ही होली खेली जाती है.

-भारत एक्सप्रेस

Also Read