राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने बीते सोमवार (9 दिसंबर) को लाओस मानव तस्करी और साइबर गुलामी मामले में बड़ी सफलता हासिल की. दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की मदद से फरार आरोपी कमरान हैदर को गिरफ्तार कर लिया गया.
कमरान हैदर की गिरफ्तारी ने अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी सिंडिकेट को तोड़ने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित किया है. NIA के अनुसार, कमरान और उसके सहयोगी पीड़ितों के लिए फ्लाइट की टिकट और दस्तावेज तैयार करने और उन्हें अवैध तरीके से सीमा पार कराने में सीधे तौर पर शामिल थे. इन अवैध गतिविधियों में गोल्डेन ट्रायंगल क्षेत्र के संपर्कों का उपयोग किया गया.
मामले का विवरण
NIA ने RC-09/2024/NIA/DLI केस में अक्टूबर 2024 में कमरान हैदर और चार अन्य आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी. अन्य आरोपियों की पहचान मंजूर आलम उर्फ गुड्डू, साहिल, आशीष उर्फ अखिल और पवन यादव उर्फ अफजल उर्फ अफरोज के रूप में हुई थी.
इन आरोपियों ने कमजोर भारतीय युवाओं को लाओस पीडीआर (Laos PDR) के गोल्डेन ट्रायंगल क्षेत्र में भेजा, जहां उन्हें साइबर ठगी के लिए मजबूर किया गया. ये ठगी मुख्य रूप से यूरोपीय और अमेरिकी नागरिकों को निशाना बनाकर की जाती थी. NIA की जांच में खुलासा हुआ कि ये गतिविधियां अली इंटरनेशनल सर्विसेज नाम की एक कंसल्टेंसी कंपनी के जरिये संचालित की जाती थीं, जो मानव तस्करी के लिए एक मुखौटा थी.
कमरान की भूमिका
कमरान हैदर न केवल पूरे तस्करी नेटवर्क को संचालित करने में शामिल था, बल्कि उसने पीड़ितों से क्रिप्टोकरेंसी वॉलेट के जरिए पैसा वसूलने का काम भी किया, खासकर उन लोगों से जो चीनी स्कैमर्स के चंगुल से भागने की कोशिश कर रहे थे. कमरान हैदर पर 2 लाख रुपये का इनाम घोषित था और उसके खिलाफ सपेशल NIA कोर्ट, पटियाला हाउस, नई दिल्ली से गैर-जमानती वारंट जारी था.
आगे की कार्रवाई
NIA ने बताया कि मामले की जांच अभी जारी है और इस सिंडिकेट से जुड़े अन्य लोगों की तलाश की जा रही है. यह गिरफ्तारी अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी और साइबर अपराध पर लगाम लगाने की दिशा में अहम साबित होगी.
-भारत एक्सप्रेस
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