भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पोकरण में 1998 में हुए परमाणु परीक्षण को भारत के इतिहास के सबसे गौरवशाली दिनों में से एक बताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि देश के लिए प्रौद्योगिकी अपना दबदबा कायम करने का माध्यम नहीं बल्कि देश की प्रगति को गति देने का एक उपकरण है. पोकरण परीक्षण की वर्षगांठ के मौके पर राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस पर यहां प्रगति मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल सशक्तिकरण के स्रोत के रूप में और सामाजिक न्याय सुनिश्चित करने के लिए किया है.
पोकरण परमाणु परीक्षण
मोदी ने कहा कि पोकरण परमाणु परीक्षण के जरिए भारत ने ना केवल अपने वैज्ञानिक सामर्थ्य को साबित किया बल्कि इसने भारत के वैश्विक कद को एक नई ऊंचाई भी दी. उन्होंने कहा, ‘‘अटल जी के शब्दों में ही कहूं तो- ‘अपनी ध्येय-यात्रा में, हम कभी रुके नहीं हैं. किसी चुनौती के समक्ष, कभी झुके नहीं हैं.’’ इससे पहले, प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी दिवस के अवसर पर यहां प्रगति मैदान में आयोजित एक कार्यक्रम का उद्घाटन किया और 5,800 करोड़ रुपये से अधिक की कई वैज्ञानिक परियोजनाओं की आधारशिला रखी.
परियोजनाओं की आधारशिला रखी
प्रधानमंत्री ने जिन परियोजनाओं की आधारशिला रखी, उनमें लेजर इंटरफेरोमीटर ग्रैविटेशनल वेव ऑब्जर्वेटरी-इंडिया (एलआईजीओ-इंडिया), होमी भाभा कैंसर अस्पताल और अनुसंधान केंद्र, जतनी, ओडिशा और टाटा मेमोरियल अस्पताल के मुंबई का प्लैटिनम जुबली ब्लॉक शामिल हैं. उन्होंने कहा कि चाहे जनधन, आधार और मोबाइल की तिकड़ी हो, कोविन पोर्टल हो या किसानों के लिए डिजिटल बाजार हो, उनकी सरकार ने प्रौद्योगिकी को ‘समावेश के एजेंट’ के रूप में इस्तेमाल किया है.
विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर बदलाव की शुरुआत
प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर उनकी सरकार के जोर ने एक बड़े बदलाव की शुरुआत की है. उन्होंने कहा, ‘‘आज भारत, एक नई सोच के साथ, 360 डिग्री समग्र रुख के साथ इस क्षेत्र में आगे बढ़ रहा है. भारत प्रौद्योगिकी पर अपना दबदबा कायम करने का माध्यम नहीं बल्कि देश की प्रगति को गति देने का एक उपकरण मानता है.’’