एस. जयशंकर, विदेश मंत्री
भारत से कनाडा पढ़ने के लिए गए 700 से ज्यादा भारतीय छात्र निर्वासन का सामना कर रहे हैं. ‘फर्जी प्रवेश प्रस्ताव पत्र’ के कारण निर्वासन का सामना कर रहे सैकड़ों भारतीय छात्रों की खबरों के बीच, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा कि एक ऐसे छात्र को दंडित करना अनुचित है, जिसने नेक नीयत से शिक्षा ग्रहण की है. ऐसे में उन दोषी पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए, जिन्होंने उन्हें गुमराह किया. मोदी सरकार के नौ साल पूरे होने पर एक संवाददाता सम्मेलन के दौरान सवालों का जवाब देते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत भारतीय छात्रों के इस मामले को संज्ञान में लाता रहेगा.
दोषी पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
वहीं उन्होंने इस मामले में कहा कि, “कुछ समय के लिए, छात्रों का यह मामला है, जो कनाडाई कहते हैं, उस कॉलेज में नहीं पढ़ा जिसमें उन्हें होना चाहिए था और जब उन्होंने वर्क परमिट के लिए आवेदन किया, तो वे मुश्किलों में पड़ गए. बहुत शुरुआत से ही हमने इस मामले को उठाया और हमारा मुद्दा यह है कि छात्रों ने नेक नीयत से पढ़ाई की. अगर ऐसे लोग हैं जिन्होंने उन्हें गुमराह किया है, तो दोषी पक्षों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए. ऐसे छात्र को दंडित करना अनुचित है, जिसने नेक नीयत से पढ़ाई की है.” वहीं उन्होंने आगे कहा कि “कल कनाडाई प्रधान मंत्री ने वहां हाउस ऑफ कॉमन्स में एक बयान दिया और मंत्री ने भी कुछ ट्वीट किया और वे वहां हमारे उच्चायोग से भी बात कर रहे हैं. मुझे लगता है कि कनाडाई भी स्वीकार करते हैं कि यह अनुचित होगा यदि एक छात्र ने ऐसा किया है कोई गलत नहीं है, हम दबाव बनाना जारी रखेंगे.”
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पंजाब के मंत्री ने उठाया था मामला
पंजाब के एनआरआई मामलों के मंत्री कुलदीप सिंह धालीवाल ने निर्वासन का सामना कर रहे 700 भारतीय छात्रों, जिनमें ज्यादातर पंजाबी हैं, का मुद्दा केंद्र के सामने उठाया था. धालीवाल ने जयशंकर को लिखे पत्र में मांग की कि छात्रों को निर्वासित नहीं किया जाना चाहिए और वर्क परमिट दिया जाना चाहिए. उन्होंने छात्रों को धोखा देने वाले एजेंटों के खिलाफ कार्रवाई के लिए गृह मंत्री अमित शाह से भी अनुरोध किया. धालीवाल ने कहा, “मैंने विदेश मंत्री से मिलने के लिए भी समय मांगा है ताकि पूरे मामले को व्यक्तिगत रूप से भारत सरकार के ध्यान में लाया जा सके.
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