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अकाली दल के प्रमुख सुखबीर बादल ने स्वर्ण मंदिर में दी सेवा, इन नेताओं ने भी किया श्री अकाल तख्त की सजा का पालन

सिख अनुयायियों की सुप्रीम अदालत श्री अकाल तख्त साहिब ने बीते रोज बेअदबी और डेरामुखी को माफी मामले में तनखाहिया करार देने के 93 दिन बाद सुखबीर बादल समेत 17 लोगों को सजा सुनाई थी.

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अकाली दल के प्रमुख और पंजाब के पूर्व उपमुख्यमंत्री, सुखबीर सिंह बादल ने आज स्वर्ण मंदिर में सेवा दी. यह सेवा श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा उनकी और उनके कैबिनेट सहयोगियों को 2007 से 2017 तक अकाली दल की सरकार के दौरान किए गए धार्मिक गलतियों के लिए दी गई सजा के तहत की गई है.

स्वर्ण मंदिर में सेवा करते हुए, सुखबीर बादल और उनके साथी रसोई में बर्तन धोते, मंदिर के बाहर पहरेदारी करते और श्री दरबार साहिब में बने पब्लिक टॉयलेट की सफाई करते हुए देखे गए. बादल ने इस दौरान सेवादारी पोशाक पहनी थी और उनके गले में दोषी होने की तख्ती भी लटकी हुई थी. उनके एक हाथ में भाला था, जिसका उपयोग पहरेदारी के लिए किया जा रहा था.

अकाली दल नेताओं के खिलाफ लगे थे ये आरोप

सुखबीर बादल पर आरोप है कि उन्होंने ईशनिंदा के मामले में डेरा सच्चा सौदा के राम रहीम को माफी दिलवाने में मदद की और राम रहीम के खिलाफ मामलों को वापस लेने में अपने राजनीतिक प्रभाव का गलत इस्तेमाल किया. इसके अलावा, गुरु ग्रंथ साहब की बेअदबी के मामले में कोई कार्रवाई नहीं की और संगत के पैसे से राजनीतिक विज्ञापन भी कराए. इन आरोपों को अकाल तख्त ने सही ठहराया है.

स्वर्ण मंदिर में अन्य नेताओं ने भी की सेवा

सुखबीर बादल के साथ-साथ विक्रम मजीठिया, मंशिंदर सिंह ग्रेवाल, दलजीत सिंह चीमा, बीबी जागीर कौर, प्रेम सिंह चंदू माजरा, सुच्चा सिंह लंगाह और बलविंदर को भी स्वर्ण मंदिर में सेवा करते हुए देखा गया. इन नेताओं को अकाल तख्त द्वारा अब तक की सबसे कठोर सजा दी गई है.

धार्मिक सजा के तहत कड़ी कार्यवाही

पंजाब में अकाली दल के नेताओं को श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा दी गई सजा को ऐतिहासिक और कठोर सजा के तौर पर देखा जा रहा है, जो सिख समुदाय की धार्मिक और सामाजिक मर्यादाओं के उल्लंघन के लिए दी गई.

-भारत एक्सप्रेस



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