सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य (फोटो ANI)
Ramcharitmanas: रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करके हिंदु धर्म के शास्त्र का अपमान करने वाले सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के बोल एक बार फिर बिगड़ गए हैं. इस बार उनका बयान नवरात्र से ठीक पहले उस वक्त आया है, जब योगी सरकार ने नवरात्र व रामनवमी के अवसर पर पूरे प्रदेश में दुर्गा सप्तशती व रामायण पाठ कराने की घोषणा की है. मौर्य ने गुरुवार को एक ट्विट के जरिए कहा कि, “योगी सरकार ने उसी सुंदरकांड का पाठ कराने का निर्णय लिया है, जिसमें महिलाओं व शूद्रों का अपमान किया गया है.”
ढोल, गवार, शुद्र, पशु, नारी।
सकल ताड़ना के अधिकारी।।
उसी सुंदरकांड का हिस्सा, जिसका सरकार ने पाठ कराने का निर्णय लिया है यानी सरकार का यह निर्णय महिलाओं व शूद्र समाज को प्रताड़ित व अपमानित करने वाले 3% लोगों का बढ़ावा देने एवं 97% हिंदू समाज के भावनाओं को आहत करने वाला है।— Swami Prasad Maurya (@SwamiPMaurya) March 16, 2023
ट्विटर पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने लिखा है कि, “ढोल, गवार, शुद्र, पशु, नारी. सकल ताड़ना के अधिकारी. उसी सुंदरकांड का हिस्सा, जिसका सरकार ने पाठ कराने का निर्णय लिया है यानी सरकार का यह निर्णय महिलाओं व शूद्र समाज को प्रताड़ित व अपमानित करने वाले 3% लोगों को बढ़ावा देने एवं 97% हिंदू समाज के भावनाओं को आहत करने वाला है.”
बता दें कि करीब डेढ़ महीने पहले स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू धर्मग्रंथ श्रीरामचरितमानस को लेकर विवादित बयान दिया था और कहा था कि “रामचरितमानस में दलितों और महिलाओं का अपमान किया गया है. तुलसीदास ने इसे अपनी खुशी के लिए लिखा था. करोड़ों लोग इसे नहीं पढ़ते.” इसी के बाद प्रदेश में स्वामी के खिलाफ जमकर विरोध किया जा रहा है.
संतों व महंतों द्वारा भी मौर्य के बयान के बाद विरोध किया गया, लेकिन वह नहीं रुके और इसके बाद से ही एक के बाद एक विवादित टिप्पणी हिंदू धर्म व ग्रंथ को लेकर कर रहे हैं. इस सम्बंध में उन्होंने प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति को पत्र लिखकर उन चौपाइयों को हटाने अथवा संशोधित करने की मांग की थी, जिसका वह विरोध कर रहे हैं.
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तो वहीं संत-महंत और धर्मचार्यों को भी निशाना बनाने से मौर्य नहीं चूके और कह दिया था कि, “जब किसी भी संत, महंत, धर्माचार्य को न तो नीच, अधम कहा गया और न ही प्रताड़ित, अपमानित किया गया फिर भी आगबबूला होकर धैर्य, संयम और विवेक खो दिये हैं, सोचिये जरा उन महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों से जिन्हे धर्म के नाम पर आप रोजाना नीच, अधम, अपमानित व प्रताड़ित करते हैं.”
-भारत एक्सप्रेस