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संदेशखाली में आपबीती बताने वाली महिलाओं पर हमले शुरू, जानें कैसे शाहजहां शेख ने खड़ा किया इतना बड़ा साम्राज्य?

Sandeshkhali Violence Update:संदेशखाली में आपबीती बताने वाली महिलाओं पर हमले शुरू हो गए हैं. तीन दिन में 3 महिलाओं पर हमले हो चुके हैं.

Sandeshkhali Violence Update

संदेशखाली को लेकर भाजपा लगातार ममता बनर्जी पर हमलावर है.

Sandeshkhali Violence Update: संदेशखाली में महिलाओं से यौन उत्पीड़न का मामला अब लगातार तूल पकड़ता जा रहा है. भाजपा सत्ताधारी टीएमसी पर इस मामले में पूरी तरह हावी है. संदेशखाली में जिन महिलाओं ने मीडिया के सामने आकर अपनी आपबीती बयां की अब उन पर हमले हो रहे हैं. उन्हें चुप रहने की धमकिया मिल रहीं हैं. जो महिलाएं पहले शाहजहां शेख के खिलाफ खुलकर बोल रही थीं उन्होंने अब चुप्पी साध ली हैं.

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की अध्यक्ष रेखा शर्मा ने कहा कि 2 महिलाओं से दुष्कर्म हुआ. एक की शिकायत मैंने दर्ज कराई है. दूसरी पर उन्होंने चुप्पी साध ली है. बता दें कि यौन उत्पीड़न का मुख्य केंद्र संदेशखाली का ब्लाॅक-2 है. पुलिस को 18 फरवरी से लेकर अब तक 1250 से अधिक शिकायतें मिली हैं. इनमे 400 तो जमीन हड़पने की हैं. वहीं एसटी आयोग को आदिवासी महिलाओं के यौन उत्पीड़न की 50 शिकायतें मिली हैं. आयोग जांच कर मामला दर्ज करेगा.

जानें कौन हैं शाहजहां शेख?

शाहजहां शेख कहां का रहने वाला है कोई नहीं जानता. साल 2000 में वो मछली पालन केंद्र में मजदूरी करने का काम करता था. सब्जी भी बेची. फिर ईंट-भट्टे का काम करने लगा. यहां काम करते-करते उन्होंने मजदूरों की यूनियन बनाई और फिर सीपीएम से जुड़ गए.

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ममता के सिंदूर और नंदीग्राम आंदोलन में जब वामदलों के पांव उखड़ने लगे तो वो सीपीएम से टीएमसी में आ गया. टीएमसी में आने के बाद उसने मुकूल राॅय और ज्योति प्रिय मलिक से नजदीकियां बढ़ानी शुरू कर दी. यही मलिक राशन घोटाला मामले में जेल में बंद है वहीं शाहजहां शेख फिलहाल फरार चल रहा है. जानकारी के अनुसार वह 2 से 4 हजार करोड़ की संपत्ति का मालिक है.

मामले में अब तक भाजपा लगातार प्रदर्शन कर रही है. भाजपा सांसदों के महिला प्रतिनिधिमंडल को पुलिस वहां 2 बार जाने से रोक चुकी है. वहीं भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार तो पुलिस से भिड़ गए. वहीं मानवाधिकार आयोग, महिला आयोग और एसटी कमीशन फिलहाल मामले की जांच में जुटा है. कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से पहले संदेशखाली का मुद्दा ममता सरकार के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है.

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