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अदालती आदेशों का पालन नहीं करा रही SEBI !

शेयर बाजार में सूचीबद्ध एक कंपनी के दो निदेशकों ने कंपनी में अपनी हिस्सेदारी एक अन्य कंपनी को बेचने का करार किया था. आरोप है कि अब दोनों निदेशक इस समझौते का पालन करने में आनाकानी कर रहे हैं.

अदालती आदेशों का पालन नहीं करा रही SEBI !

राजस्थान की एक जिला अदालत के आदेशों के बावजूद स्टॉक एक्सचेंज में एक सूचीबद्ध कंपनी अपनी शेयर होल्डिंग में बदलाव की कोशिश कर रही है. कंपनी के निदेशकों ने गुरुवार को EGM (एक्स्ट्रा-ऑर्डिनरी जनरल मीटिंग) बुलाई है. आशंका जताई जा रही है इसमें कंपनी की मूल संरचना और शेयर होल्डिंग में बदलाव किया जा सकता है.

पीड़ित ने इस मामले में आदेशों का पालन कराने के लिए अधिकृत SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) से अदालती आदेश अपनी अधिकृत वेबसाइट पर अपलोड करने की गुहार भी लगाई. मगर शेयर मार्केट की नियामक संस्था SEBI ने अब तक अदालती आदेश वेबसाइट पर अपलोड करने की जहमत नहीं उठाई है.

यह है पूरा मामला

दरअसल Cupid Ltd नामक सूचीबद्ध कंपनी के निदेशकों ओम प्रकाश गर्ग और वीना गर्ग ने कंपनी में अपनी 44.84 फीसदी शेयर होल्डिंग से संबंधित 59,81,036 इक्विटी शेयर Vikas Lifecare Ltd को बेचने के लिए करार किया था. आरोप है कि यह दोनों इस समझौते का पालन करने में आनाकानी करते रहे और Vikas Lifecare के पक्ष में शेयर ट्रांसफर करने से बचने को कोशिश करने लगे.

SEBI

धोखाधड़ी की आशंका से अदालत में लगाई गुहार

मामले में धोखाधड़ी की आशंका हुई तो Vikas Lifecare Limited ने Cupid Ltd के खिलाफ अलवर की जिला अदालत में मुकदमा दायर कर दिया. इसके बाद अदालत ने ओम प्रकाश गर्ग और वीना गर्ग को समन जारी कर जवाब तलब किया.

सुनवाई के दौरान इन्होंने अदालत को बताया कि वह अपनी शेयर होल्डिंग एक अन्य कंपनी को ट्रांसफर करने का सौदा कर चुके हैं. मामले के तथ्यों को देखते हुए अदालत ने 8 दिसंबर 2023 को उन्हें आदेश दिया कि Cupid Ltd के शेयरों के ट्रांसफर की प्रक्रिया में किसी अन्य तीसरे पक्ष को शामिल न किया जाए.

नहीं रोकी ट्रांसफर की प्रक्रिया!

आरोप है कि Cupid Ltd ने शेयर होल्डिंग ट्रांसफर करने के लिए Columbia Petrocom Pvt Ltd और आदित्य कुमार हलवासिया के साथ हुए कथित करार को अंजाम देने की प्रक्रिया को नहीं रोका. इस मामले में वादी Vikas Lifecare ने आशंका जताई कि Cupid Ltd न्यायालय के 8 दिसंबर के आदेश का उल्लंघन कर रही है, क्योंकि कंपनी द्वारा 22 लाख शेयरों को अन्य एफपीआई/एफआईआई के पक्ष में जारी करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई थी.

इतना ही नहीं करीब 33 लाख शेयरों के मामले में भी ऐसा ही करने को प्रक्रिया को भी शुरू कर दिया गया था. Vikas Lifecare ने आशंका जाहिर की कि कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया न केवल उनके साथ बल्कि जनता के साथ भी बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी की कोशिश कर रहे थे, जिसमें ओम प्रकाश और वीना गर्ग की भी मिलीभगत नजर आ रही थी.

अदालत ने दिखाया कड़ा रुख

मामला जब अदालत के संज्ञान में लाया गया तो अदालत ने भी इस मामले को गंभीरता से लिया. 30 मार्च 2024 को अलवर के अतिरिक्त जिला न्यायाधीश ने इस मामले में कोलंबिया पेट्रोकॉम और आदित्य कुमार हलवासिया को भी प्रतिवादी के तौर पर मुकदमे में शामिल करने का आदेश जारी कर दिया.

इसके साथ ही Cupid Ltd और अन्य प्रतिवादियों को शेयरों की संरचना में किसी भी तरह का बदलाव करने और उन्हें किसी तीसरे पक्ष को देने या ट्रांसफर करने से रोक ने का आदेश भी पारित कर दिया.

बैंक गारंटी जमा कराने का भी आदेश

अदालत ने अपने आदेश में यह भी कहा कि Cupid Ltd की वित्तीय संरचना या शेयरों के संबंध में किसी भी तरह का सौदा करने से पहले अदालत में 149.52 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी जमा करानी होगी.

SEBI को भी दिया आदेश

इतना ही नहीं अदालत ने अपने आदेश में SEBI, Central Depository Service India Ltd (CSDL) और National Securities Depository Limited (NSDL) दिल्ली को इस आदेश का तत्काल पालन करने के लिए जरूरी कदम उठाने का भी आदेश दिया.

आदेशों की अवहेलना की आशंका

आरोप है कि क्यूपिड लिमिटेड के निदेशकों ने इक्विटी शेयरों को विभाजित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इसके लिए 4 अप्रैल को कंपनी ने EGM बुलाने का फैसला भी कर लिया है. आशंका जताई जा रही है कि इस दौरान जिला अदालत के 8 दिसंबर 2023 और 30 मार्च 2024 के आदेशों का उल्लंघन किया जा सकता है.

SEBI से लगाई गुहार

Vikas Lifecare ने इस मामले में SEBI चेयरमेन माधबी पुरी बुच के अलावा SEBI के पूर्णकालिक सदस्य अश्विनी कुमार भाटिया को ईमेल से अदालत के आदेश की जानकारी देते हुए आदेशों का पालन सुनिश्चित कराने की गुहार लगाई है, जिसके लिए SEBI की अधिकृत वेबसाइट पर इस संबंध में पारित आदेशों को अपलोड करने की मांग की गई है, लेकिन अभी तक ऐसा नहीं किया गया है.

जानकारों की राय

जानकारों का मानना है कि SEBI की अधिकृत वेबसाइट पर आदेश अपलोड होने की स्थिति में आम जनता को उसकी जानकारी आसानी से मिल जाती है. इस स्थिति में कोई भी कंपनी अदालती आदेशों और किसी वाद की जानकारी छिपाकर धोखाधड़ी को अंजाम नहीं दे सकती है.

-भारत एक्सप्रेस

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