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हाईकोर्ट ने आरोपियों को जमानत देने से इनकार करते हुए कहा, ‘सेक्सटॉर्शन’ एक सामाजिक समस्या

हाईकोर्ट ने कहा कि ‘सेक्सटार्शन‘ एक बहुत बड़ा सामाजिक खतरा है, जो निजता का गंभीर उल्लंघन है. वह न केवल व्यक्तिगत गरिमा को कम करता है, बल्कि उसमें खुलेपन की तस्वीरें एवं क्षेत्राधिकार की वजह से कानून प्रवर्तकों के लिए भी गंभीर चुनौती पेश करता है

Delhi High Court

दिल्ली हाई कोर्ट

हाईकोर्ट ने कहा कि ‘सेक्सटार्शन‘ एक बहुत बड़ा सामाजिक खतरा है, जो निजता का गंभीर उल्लंघन है. वह न केवल व्यक्तिगत गरिमा को कम करता है, बल्कि उसमें खुलेपन की तस्वीरें एवं क्षेत्राधिकार की वजह से कानून प्रवर्तकों के लिए भी गंभीर चुनौती पेश करता है. इसके अंतरंग फोटो व वीडियो के जरिए पीड़ितों से पैसा वसूला जाता है या उसे गैर कानूनी काम करने के लिए मजबूर किया जाता है. यह एक तरह से शोषण है, जिसकी वजह से हमेश गंभीर मनोवैज्ञानिक आधात होता है.

न्यायमूर्ति अमित महाजन ने उक्त टिप्पणी करते हुए सेक्सटार्शन के जरिए 16 लाख रुपए के जबरन वसूली करने के तीन आरोपियों को जमानत देने से इनकार कर दिया और उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी. एक व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि उसे एक अज्ञात महिला की ओर से व्हाट्सएप वीडियो कॉल आया, जिसने निजी वीडियो कॉल करने पर जोर दिया और बाद में वीडियो कॉल रिकॉर्ड कर ली. उसके बाद उसे अलग-अलग मोबाइल नंबरों से कई कॉल आए, जिन्होंने खुद को पुलिस अधिकारी या यूट्यूबर बताया और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से वीडियो हटाने के बहाने उनसे पैसे ऐंठे- व्यक्ति ने यह भी आरोप लगाया कि आरोपियों ने वीडियो में दिख रही महिला की हत्या के मामले में उन्हें झूठे आरोप में फंसाने की धमकी दी और उसके परिवार के साथ मामला सुलझाने का झांसा दिया.

आरोपियों ने कोर्ट से कहा कि उनलोगों को झूठा फंसाया गया है और उनके खिलाफ कोई भी आरोप नहीं है. दूसरी ओर अभियोजन पक्ष ने जमानत याचिकाओं का विरोध करते हुए कहा कि सभी आरोपी संगठित अपराध सिंडिकेट के सक्रिय सदस्य हैं. वे सेक्सटार्शन के संगठित अपराध को अंजाम देने के लिए चलाया जा रहा है.

जमानत याचिकाओं को खारिज करते हुए कोर्ट ने कहा कि मामले की जांच में कई शिकायतें सामने आई है. वे लोग इस तरह के अपराधों में कथित रूप से संलिप्त पाए गए हैं.उनके अपराध करने के पैटर्न व उसकी गंभीरता को देखते हुए उनके इस तरह के अपराध में फिर से शामिल होने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. इस स्तर पर यह नहीं माना जा सकता है कि उन लोगों को फंसाया जा रहा है.वे पहले से भी इस तरह के अपराध में लिप्त रहे हैं. इस दशा में उन्हें जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.

-भारत एक्सप्रेस

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