बिहार की राजधानी पटना के गांधी मैदान स्थित बापू सभागार में 25 दिसंबर को ‘मैं अटल रहूंगा’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जो पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जन्मशताब्दी के अवसर पर आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में मशहूर लोक गायिका देवी ने ‘रघुपति राघव राजा राम, पतित पावन सीताराम’ भजन प्रस्तुत किया. लेकिन जैसे ही गायिका ने ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’ वाली पंक्ति कही, सभा में हंगामा मच गया. कुछ लोगों ने विरोध शुरू कर दिया, जिसके कारण गायिका को माफी मांगनी पड़ी.
इस पूरे विवाद पर गायिका देवी ने आईएएनएस से कहा, “मैंने गाना जब शुरू किया तब तक तो माहौल ठीक था, लेकिन जैसे ही उसमें लाइन आई ‘ईश्वर-अल्लाह तेरो नाम’, तो वहां मौजूद कुछ लोगों ने विरोध शुरू कर दिया. मुझे कुछ पल के लिए समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या हो रहा है. मैं भी घबरा गई कि क्या मैटर हो गया. बाद में मुझे समझ आया कि ‘अल्लाह’ के नाम पर उन्हें दिक्कत हुई. इसके बाद मैं लोगों को समझाने लगी कि इस गाने में कुछ ऐसा नहीं है. फिर मैं लोगों के बीच आई और मैंने लोगों से कहा कि अगर मेरी किसी बात से आपको तकलीफ हुई है तो मैं आपको ‘सॉरी’ कहना चाहती हूं.”
गायिका ने कहा कि हंगामे के बाद उन्होंने लोगों से माफी मांगी, हालांकि उनका मानना है कि उन्हें “माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं थी”. देवी ने कहा कि दिल से मैं माफी मांगना नहीं चाहती थी. लोगों का हंगामा देखकर मुझे लगा कि कहीं ये लोग तोड़फोड़ ना शुरू कर दें. मुझे आमंत्रित करने वाले लोगों का नुकसान नहीं होना चाहिए. माहौल को शांत करने के लिए मुझे माफी मांगनी पड़ी.
उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह कोई बड़ी बात नहीं थी, क्योंकि मैं जानती थी कि यह गाना किसी को चोट नहीं पहुंचा रहा है, बल्कि यह एक अच्छा संदेश दे रहा है.” देवी ने कहा कि उन्होंने यह गाना इसलिए चुना था, क्योंकि यह महात्मा गांधी का प्रिय भजन है और इस मंच पर इस गाने से बेहतर और कोई गाना नहीं हो सकता था.
देवी ने बताया कि हंगामा करीब 10 मिनट तक चला और मंच पर मौजूद लोग माहौल को शांत करने की कोशिश कर रहे थे. इसी बीच, अश्विनी चौबे भी मंच पर आए और उन्होंने लोगों से शांत रहने की अपील की. इसके बाद ‘जय श्री राम’ के जयकारे भी लगाए गए. मुझे लगता है कि इस समय बड़े नेता को सामने आकर कहना चाहिए था कि इस गाने में कोई बुराई नहीं है.
गायिका ने बताया कि इस विवाद के बावजूद उन्हें ‘विशिष्ट अटल सम्मान’ से सम्मानित किया गया. यह मेरे लिए एक अप्रत्याशित सम्मान था, क्योंकि मैंने सोचा नहीं था कि इस गाने को लेकर कोई विवाद होगा. यह गाना हमेशा से लोगों को जोड़ने की बात करता आया है और मुझे लगता है कि विरोध करने वाले लोग इसे सही तरीके से नहीं समझ पाए.
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गायिका ने इस विरोध को लेकर हिंदू पुत्र संगठन पर निशाना साधते हुए कहा कि यह विरोध गलत था. उन्होंने कहा कि यह गाना महात्मा गांधी का प्रिय भजन है और इस पर विरोध जताना सही नहीं है. मैं इन लोगों के खिलाफ कार्रवाई की मांग करती हूं और आगे भी ऐसे भजन गाती रहूंगी. पूरे विवाद पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि यह गाना एक सकारात्मक संदेश देता है और इसकी आलोचना करना समझ से बाहर है. हमारे देश की संस्कृति सबको साथ लेकर चलने की है. अगर किसी को किसी के धर्म से समस्या है तो इसका मतलब यह नहीं कि हमें एक अच्छे गाने पर विवाद पैदा करना चाहिए.
-भारत एक्सप्रेस
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