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मनमोहन सिंह की समाधि पर कांग्रेस का यू-टर्न: 2013 में VVIP कल्चर रोका, अब खुद मांग रही विशेष सम्मान

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की समाधि पर सियासत गर्म, कांग्रेस ने केंद्र पर उठाए सवाल. 2013 में खुद VVIP समाधि नीति लागू करने वाली कांग्रेस अब विशेष सम्मान की मांग पर अड़ी.

Congress vs bjp

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन के बाद उनकी समाधि और स्मारक को लेकर विवाद तेज हो गया है. गुरुवार को निधन के बाद शनिवार को उन्हें निगमबोध घाट पर राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई. कांग्रेस ने उनके अंतिम संस्कार के स्थान और समाधि स्थल को लेकर आपत्ति जताई है.

कांग्रेस का विरोध: समाधि के स्थान पर सवाल

कांग्रेस का कहना है कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार उसी स्थान पर होना चाहिए था, जहां उनकी स्मृति के लिए समाधि बनाई जा सके. कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर यह मांग की. पार्टी ने इसे सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री के सम्मान का सवाल बताया है.

2013 की UPA सरकार का समाधि स्थल प्रस्ताव

यह विवाद उस प्रस्ताव की ओर ध्यान खींचता है, जिसे 2013 में मनमोहन सिंह के नेतृत्व वाली UPA सरकार ने पेश किया था.

प्रस्ताव की मुख्य बातें

  • राजघाट परिसर के पास नई समाधियों के निर्माण पर रोक लगाई गई.
  • सभी VVIP समाधियों के लिए एक साझा स्थल, राष्ट्रीय स्मृति स्थल (National Memorial Site) का प्रावधान किया गया.
  • इस नीति का उद्देश्य जगह की बचत और संसाधनों का बेहतर उपयोग था.

नीति का असर: एक साझा समाधि स्थल की शुरुआत

2013 की इस नीति के लागू होने के बाद

राजघाट परिसर में नई समाधियों का निर्माण बंद हो गया.

पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और ज्ञानी जैल सिंह जैसे नेताओं की समाधियां राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर बनाई गईं. कांग्रेस अब सवाल उठा रही है कि मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार निगमबोध घाट पर क्यों किया गया, जबकि यह नीति पहले से लागू थी.

क्या कह रही है केंद्र सरकार?

गृह मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि समाधि स्थल और उससे संबंधित ट्रस्ट निर्माण की प्रक्रिया में समय लगता है.

सरकार का रुख

  • मनमोहन सिंह की स्मृति के लिए उपयुक्त स्थान निर्धारित किया जाएगा.
  • वर्तमान नीति के तहत राष्ट्रीय स्मृति स्थल पर समाधि बनाई जाएगी.
  • पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधियां: परंपरा और सवाल
  • भारत में पूर्व प्रधानमंत्रियों की समाधियों को उनकी ऐतिहासिक भूमिका और योगदान के प्रतीक के रूप में देखा जाता है.

प्रमुख समाधियां

  • जवाहरलाल नेहरू: शांतिवन
  • इंदिरा गांधी: शक्ति स्थल
  • राजीव गांधी: वीर भूमि

अधिकांश समाधियां उनके अंतिम संस्कार वाले स्थान पर ही बनाई गई हैं. लेकिन 2013 की नीति के बाद इस परंपरा में बदलाव आया.

कांग्रेस की आपत्ति: सम्मान का सवाल या सियासत?

कांग्रेस का आरोप है कि सिख समुदाय के पहले प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ सम्मानजनक व्यवहार नहीं हुआ.

कांग्रेस के तर्क

  • मनमोहन सिंह का अंतिम संस्कार राजघाट के पास होना चाहिए था.
  • उनका योगदान उन्हें विशेष सम्मान का हकदार बनाता है.
  • राष्ट्रीय स्मृति स्थल: नया नियम और पुरानी परंपरा का टकराव

2013 के बाद से सभी VVIP समाधियों के लिए राष्ट्रीय स्मृति स्थल का ही उपयोग किया जा रहा है. यह कदम संसाधनों और जगह की बचत के लिए उठाया गया था. लेकिन कांग्रेस अब इसे लेकर केंद्र सरकार को घेर रही है.

अंत में सवाल: सियासत या सम्मान?

इस विवाद के बीच एक बड़ा सवाल यह है कि क्या यह सम्मान का मुद्दा है, या सियासी समीकरणों की नई बिसात बिछ रही है? समाधि स्थल को लेकर अंतिम फैसला आने वाले दिनों में इस बहस को और गहराई देगा.


इसे भी पढ़ें- पहले सिख प्रधानमंत्री का अपमान या राजनीति? मनमोहन सिंह के स्मारक पर केंद्र-कांग्रेस आमने-सामने


-भारत एक्सप्रेस



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