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“मैं जिंदा हूं जनाब, मेरे नाना-मामा को…”, पिता के खिलाफ बेटे ने लगाए आरोप, SC में चल रही थी मर्डर केस की सुनवाई

मारपीट के बाद बच्चे की मां घायल हो गई थीं. ऐसा कई बार हुआ. फिर 2013 में पिटाई के कारण बच्चे की मां की मौत हो गई. मौत के बाद नाना ने अपने दामाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-बी (दहेज हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी.

Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट. (फाइल फोटो)

Pilibhit:  सुप्रीम कोर्ट में एक मर्डर केस की सुनवाई हो रही थी. नाना और मामा पर बच्चे को मार डालने का आरोप लगा था. ये आरोप बच्चे के पिता ने लगाए थे. तभी अचानक सुनवाई के बीच 11 साल का बच्चा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया. बच्चे ने शीर्ष अदालत को कहा कि मेरे नाना और मामा को झूठे केस में फंसाया जा रहा है. मैं जिंदा हूं. यूपी के पीलीभीत के इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए कहा कि इस मामले में अगले आदेश तक कोई भी दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी. मामले की अगली सुनवाई 2024 में होगी.

ननिहाल में रह रहा था बच्चा

रिपोर्ट के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में यूपी सरकार, पीलीभीत के एसपी और न्यूरिया थाने के इंचार्ज को भी नोटिस जारी किया है. इस केस से जुड़ी घटनाओं का सिलसिलेवार ढंग से खुलासा करते उनके वकील कुलदीप जौहरी ने बताया कि बच्चा को क्यों यह साबित करने के लिए अदालत में जाना पड़ा कि वह मरा नहीं है. वकील ने कहा कि बच्चा फरवरी 2013 से ही अपने ननिहाल में रह रहा था. बच्चे का नाना जो कि किसान हैं वहीं उसका देखभाल करते हैं. दरअसल, बच्चे के पिता उसकी मां को दहेज के लिए बहुत बेरहमी से पीटा था.

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इलाहाबाद हाई कोर्ट हो याचिका हो गई थी खारिज

मारपीट के बाद बच्चे की मां घायल हो गई थीं. ऐसा कई बार हुआ. फिर 2013 में पिटाई के कारण बच्चे की मां की मौत हो गई. मौत के बाद नाना ने अपने दामाद के खिलाफ आईपीसी की धारा 304-बी (दहेज हत्या) के तहत एफआईआर दर्ज कराई थी. इसके बाद दामाद ने अपने बेटे की कस्टडी की मांग की. फिर दोनों पक्षों के बीच कानूनी लड़ाई शुरू हो गई. इस लड़ाई ने दोनों पक्षों ने एक-दूसरे के खिलाफ केस दर्ज कराया. बच्चे के पिता ने ससुराल वालों के खिलाफ बच्चे को मौत के घाट उतारने का आरोप लगाया. वकील ने कहा कि एफआईआर को रद्द कराने के लिए पहले इलाहाबाद हाई कोर्ट गए लेकिन वहां याचिका खारिज कर दी गई. इसके बाद हमने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. हमें सबूत के तौर पर बच्चे को सुप्रीम कोर्ट में पेश करना पड़ा. मामले की अगली सुनवाई 2024 में होगी.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

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