सुप्रीम कोर्ट
समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक और गैंगस्टर एक्ट मामले में आरोपी कमलेश पाठक को सुप्रीम कोर्ट ने राहत देने से इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कमलेश पाठक की ओर से दायर जमानत याचिका को खारिज कर दिया है। जमानत अर्जी पर जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश सी शर्मा की अवकाशकालीन पीठ ने यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने कमलेश पाठक की ओर से दायर जमानत याचिका को खारिज करते हुए कहा कि पाठक का इलाके में उनके प्रभाव और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए उनकी ओर से दायर जमानत याचिका अनुचित लगती है।
मामले में कोर्ट ने कही ये बात
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने इस बात पर प्रकाश डाला कि कमलेश पाठक के खिलाफ एक दर्जन से ज्यादा मामले स्पष्ट रूप से शिकायतकर्ता के साथ निपटाए गए थे, जो याचिकाकर्ता के प्रभाव और वर्चस्व की ओर इशारा करते है। मामले की सुनवाई के दौरान पाठक की ओर से पेश वकील ने कहा कि उनके मुवक्किल कमलेश पाठक को हत्या और हत्या के प्रयास के अलग-अलग मामलों में जमानत दी गई है, लेकिन गैंगस्टर एक्ट मामले की वजह से उन्हें सलाखों के पीछे रहने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जिसपर कोर्ट ने कहा कि अदालत का एक विचार है कि यूपी से इस तरह का मामला तीन महीने के अंदर समाप्त हो जाएगा। यह ऐसा मामला नही है जहां हम अपने विवेक का प्रयोग कर सकते है।
इस मामले के बाद लगा था गैंगस्टर एक्ट
पीठ ने कहा कि कमलेश की जैसी आपराधिक पृष्ठभूमि वाले शख्स के साथ हमें नही लगता कि हम ऐसा कोई आदेश पारित करेंगे। बता दें कि कमलेश पाठक पर यूपी के औरैया में दोहरे हत्याकांड में कथित संलिप्तता के बाद उनके खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। मार्च 2020 में यूपी के औरैया शहर के नारायण मोहल्ले में पंचमुखी हनुमान मंदिर में 37 साल के अधिवक्ता मंजुल चौबे के साथ ही उनकी 24 साल की बहन की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मंदिर का प्रबंधन और उसकी देखभाल मृतक का परिवार ही करता था। इस मामले में पूर्व एमएलसी पाठक सहित उनके दो भाइयों और 11 अन्य मंदिर की जमीन हड़पने के लिए हत्या का आरोप लगाया था।
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