सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा है कि स्त्रीधन महिलाओं की विशिष्ट संपत्ति होती है, बिना उसकी मर्जी के इस संपत्ति को पिता भी उसके ससुरालवालों से वापस नहीं मांग सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस जेके महेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की बेंच ने तलाकशुदा महिला के पिता की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर को रद्द करने का आदेश दिया है. इस FIR में पिता ने बेटी के तलाक के बाद ससुरालवालों से शादी के दौरान दिए गए उपहार स्वरूप जेवरातों और अन्य सामानों को लौटाने की मांग की थी.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कहा, “कोर्ट के पहले के आदेश महिला के स्त्रीधन के एकमात्र मालिक होने के एकल अधिकार के संबंध में पूरी तरह से स्पष्ट हैं.” इसके साथ ही कोर्ट ने ये भी कहा कि स्त्रीधन पर पति का भी अधिकार नहीं, इससे ये साफ होता है कि जब तक बेट जीवित है या फिर फैसले लेने में पूरी तरह से सक्षम है, उसके पिता को भी उसके धन को वापस मांगने का कोई अधिकार नहीं है.
दरअसल, महिला के पिता ने एक FIR दर्ज कराई थी, जिसमें उसने कहा था कि 1999 में उसने अपनी बेटी की शादी की थी, जिसमें दिया गया स्त्रीधन ससुरालवाले अपने पास रखे हुए हैं और लौटाने से इनकार कर रहे हैं. महिला ने साल 2016 में अपने पति को तलाक देकर 2018 में दूसरी शादी कर ली थी.
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बता दें कि महिला के ससुरालवालों ने 22 दिसंबर 2022 को तेलंगाना हाई कोर्ट में उनके खिलाफ दर्ज कराई गई FIR को दर्ज करने के लिए एक याचिका दाखिल की थी, लेकिन अदालत ने मुकदमे को रद्द करने से इनकार कर दिया था. जिसके बाद ससुरालवालों ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.
-भारत एक्सप्रेस
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