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“पापा कभी प्रमुख पद से इस्तीफा देना नहीं चाहते थे”, शरद पवार ने क्यों छोड़ी थी NCP की अध्यक्षता, सुप्रिया सुले ने किया खुलासा

NCP Politics: महाराष्ट्र में बीते कुछ महीनों पहले सियासी उथल-पुथल के बीच राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के अध्यक्ष शरद पवार ने अध्यक पद से इस्तीफ दे दिया था. अब इसको लेकर उनकी बेटी और सांसद सुप्रिया सुले (Supriya Sule) ने बड़े खुलासे किए हैं. वहीं उन्होंने अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल पर निशाना साधा. एनसीपी की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया ने खुलासा करते हुए बताया कि बीजेपी के साथ जाने की कुछ पार्टी नेताओं की जिद के चलते मई में शरद पवार (Sharad Pawar) ने पार्टी अध्यक्ष पद छोड़ देने की चौंकाने वाली घोषणा की थी. उन्होंने कहा कि ‘पवार साहेब’ कभी अपना इस्तीफा नहीं देना चाहते थे.

सुप्रिया, अजित पवार गुट से जुड़े नेता और प्रदेश के मंत्री छगन भुजबल के इस दावे के बारे में पूछे गये सवाल का जबाव दे रही थीं कि पार्टी में यह तय किया गया था कि शरद पवार इस्तीफा देंगे.

इस्तीफा नहीं देना चाहते थे शरद पवार

भुजबल ने एक मराठी चैनल को दिये इंटरव्यू में कहा था कि, ‘‘शरद पवार बीजेपी के साथ जाने के लिए तैयार नहीं थे, इसलिए फैसला किया गया कि वह इस्तीफा देंगे और सुप्रिया सुले को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाए. ताकि एनसीपी. भाजपा के साथ हाथ मिला सके और सरकार का हिस्सा बन सके.’’ दो मई को सभी को चौंकाते हुए शरद पवार ने  कहा था कि वह अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे रहे हैं. उन्होंने स्तब्ध पार्टी कार्यकर्ताओं के विरोध एवं सामूहिक इस्तीफे के बाद यह निर्णय वापस लिया था.

सुले ने कहा कि उनके पिता कभी पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना नहीं चाहते थे. उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन जब पार्टी में सभी ने भाजपा के साथ हाथ मिलाने पर जोर डाला तब पवार साहेब आहत हुए. उन्होंने अपना इस्तीफा दे दिया. आपने (मीडिया ने) सोचा कि यह ड्रामा है लेकिन यह हमारे लिए हकीकत थी. बाद में राज्य से पार्टी कार्यकर्ताओं ने पवार साहेब से अध्यक्ष पद पर बने रहने की अपील की.’’

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भुजबल ने शरद पवार के विचार को किया था खारिज

बारामती की सांसद सुले ने कहा कि शरद पवार ने एक समिति गठित करने का सुझाव दिया जो यह तय करती कि अगला एनसीपी अध्यक्ष कौन होगा लेकिन यह भुजबल ही थे जिन्होंने इस विचार को खारिज कर दिया और पार्टी संस्थापक से पद पर बने रहने की अपील की. उन्होंने कहा, ‘‘यदि उन्होंने खुद ही अगले (राकांपा) अध्यक्ष पर विचार करने के लिए एक समिति गठित करने का निर्देश दिया तो क्या आप उन्हें ‘तानाशाह’ कहेंगे? (यदि वह तानाशाह होते तो) उन्होंने आदेश दिया होता कि अमुक व्यक्ति को पार्टी अध्यक्ष बनाया जाए.’’

– भारत एक्सप्रेस

Rahul Singh

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