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अजमेर शरीफ दरगाह के बारे में हो रही बयानबाजी पर सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती ने दी प्रतिक्रिया

भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती खुद को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज बताते हैं. उन्होंने कहा कि कुछ नेता जनता तक गलत संदेश फैला रहे हैं.

सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती

अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर विवादों के बीच भारतीय सूफी सज्जादानशीन परिषद के अध्यक्ष सैयद नसीरुद्दीन चिश्ती (Syed Naseeruddin Chishti) ने प्रतिक्रिया दी है. वे खुद को ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के वंशज बताते हैं. चिश्ती ने कहा कि कुछ नेता जनता तक गलत संदेश फैला रहे हैं.

उन्होंने कहा, “पिछले कुछ दिनों में दरगाह को लेकर कई गुमराह करने वाले बयान सामने आए हैं. दिल्ली में बैठे कुछ नेता गैर-जिम्मेदाराना बातें कर रहे हैं. ऐसा माहौल बनाया जा रहा है कि जैसे दरगाह के सर्वे का आदेश जारी हो गया हो. लेकिन हकीकत यह है कि अभी तक ऐसा कोई आदेश नहीं दिया गया है.”

अदालत में चल रही है सुनवाई

सैयद नसीरुद्दीन ने कहा कि मामला अभी अदालत में है. उन्होंने बताया, “20 दिसंबर को अदालत इस पर सुनवाई करेगी. संबंधित पक्षों को नोटिस जारी किए गए हैं. अभी तक केवल यही हुआ है. लेकिन गलत तरीके से प्रचार किया जा रहा है कि सर्वे शुरू होने वाला है. यह जनता को गुमराह करने वाला है.”

संभल मस्जिद मामले पर भी बोले

सैयद नसीरुद्दीन ने संभल की शाही मस्जिद के मामले पर भी अपनी राय दी. उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद के सर्वे पर फिलहाल रोक लगाई है. मैं इस फैसले का स्वागत करता हूं.”

उन्होंने यह भी कहा कि देश की सभी अदालतों को तब तक धार्मिक स्थलों पर सर्वे के आदेश नहीं देने चाहिए, जब तक सुप्रीम कोर्ट प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट (Places of Worship Act) पर अंतिम निर्णय नहीं ले लेता. उन्होंने कहा, “चाहे वह मंदिर हो, मस्जिद हो या दरगाह, ऐसे मामलों में सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेना चाहिए.”

जनता तक सही जानकारी पहुंचे

चिश्ती ने अपील की कि नेताओं और जिम्मेदार लोगों को अपनी बात ध्यान से रखनी चाहिए. उन्होंने कहा, “भ्रम फैलाने से माहौल बिगड़ता है. जनता तक सही और सटीक जानकारी पहुंचाना सभी का कर्तव्य है.”

यह बयान उस समय आया है जब अजमेर शरीफ दरगाह को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही हैं.


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-भारत एक्सप्रेस



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