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Mathura: रेपिस्ट को 26 दिनों में कोर्ट ने सुनाई फांसी की सजा, नाबालिग से दुष्कर्म के बाद की थी हत्या, जंगल में मिला था शव

Mathura: केस में 14 नवंबर को पुलिस ने कोर्ट में सतीश के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. अदालत ने गवाहों के बयान और सुबूतों के आधार पर अभियुक्त को दोषी माना.

प्रतीकात्मक तस्वीर

प्रतीकात्मक तस्वीर

Mathura: मथुरा जनपद के चर्चित नाबालिग से रेप और हत्या के एक मामले में मात्र आरोप पत्र दाखिल होने के 26 दिनों के अंदर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई है. अपर सत्र न्यायाधीश एवं विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विपिन कुमार की अदालत ने यह फैसला सुनाया है. इसके अलावा दोषी पर 45 हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है.

बात करें इस मामले की पैरवी की तो इस चर्चित केस को सरकार की तरफ से स्पेशल डीजीसी पोक्सो कोर्ट श्रीमती अलका उपमन्यु एडवोकेट पैरवी कर रहीं थीं. मामले में इतनी जल्दी फैसला आने पर इस केस के बारे में बताते हुए वह कहती हैं कि मृतक पीड़िता की मां ने जैंत थाने पर 13 अक्तूबर 2022 की शाम को इस बारे में रिपोर्ट दर्ज कराई थी.

जिसमें इस बात का जिक्र किया था कि जैंत थाना निवासी सतीश पुत्र बुद्धाराम (30) उनकी 10 वर्षीय बेटी को घुमाने का बहाना बनाते हुए घर से दूर लेकर चला गया.

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मौका देखकर उसने दुष्कर्म के बाद उनकी बेटी की हत्या कर दी और लाश को पीएमबी पॉलीटेक्निक कॉलेज के पास जंगल में फेंक दिया. लाश को बाद में पुलिस द्वारा बरामद किया गया. पुलिस ने इस मामले में धारा 363, 376 ए बी, 302 व 5एम/6 पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज किया था.

14 नंबर को पुलिस ने दाखिल किया आरोप पत्र

केस में 14 नवंबर को पुलिस ने कोर्ट में सतीश के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया. इस चर्चित मामले की सुनवाई अपर सत्र न्यायाधीश व विशेष न्यायाधीश पॉक्सो एक्ट विपिन कुमार की अदालत में चल रही थी. मुकदमें की कार्यवाही काफी तेजी से चली. अदालत ने गवाहों के बयान और सुबूतों के आधार पर अभियुक्त को दोषी माना.

सुनवाई में यह कहा जज ने

मामले की सुनवाई करते हुए न्यायधीश ने अपने आदेश में दोषी को मृत्यु की सजा सुनाते हुए कहा कि अभियुक्त सतीश को फांसी के फन्दे पर तब तक लटकाया जाए जब तक की उसकी मौत ना हो जाए. हालांकि मौत की सजा से पहले माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद की पुष्टि आवश्यक है.

इन धाराओं में भी मिली सजा

अभियुक्त सतीश को इस सजा के अलावा भारतीय दण्ड संहिता धारा-363 के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में 05 वर्ष के कठोर कारावास के साथ मु०-5,000/- (पांच हजार रूपये) का अर्थदण्ड भी लगाया गया है. अर्थदण्ड की अदायगी न होने पर 03 माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना पड़ेगा.

वहीं अभियुक्त सतीश को एक अन्य धारा-: 1-376 ए. बी. भारतीय दण्ड संहिता के अन्तर्गत दण्डनीय अपराध के आरोप में आजीवन कारावास और  मु० -20,000/- ( बीस हजार रूपये) के अर्थदण्ड से भी दण्डित किया गया है. इस मामले में भी अर्थदण्ड की अदायगी न होने पर 6 महिने अतिरिक्त कारावास में गुजारने होंगे.

वहीं पोक्सो अधिनियम की धारा-5 एम / 6 के में उसे आजीवन कारावास तथा मु० – 20,000 / – ( बीस हजार रूपये) का अर्धदण्ड भी भरना होगा. अभियुक्त इस समय न्यायिक अभिरक्षा में है. मृत्युदण्ड की पुष्टि के लिए इस निर्णय की प्रति माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद को भेजी जायेगी.

मां-बाप ने जताया न्याय प्रणाली पर भरोसा

मृतक पीड़िता के मां-बाप ने जल्द न्याय मिलने पर सभी के प्रति आभार व्यक्त किया और न्याय प्रणाली पर पूरा भरोसा जाताया है. वहीं अभियुक्त के वकील योगेश तिवारी ने इस मामले में हाईकोर्ट जाने की भी बात कही है.



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