प्रतीकात्मक तस्वीर
अदालत ने जीबी रोड पर एक वेश्यालय के सामने दिल्ली पुलिस के एक कांस्टेबल की चाकू मारकर हत्या करने के 11 साल से अधिक समय बाद चार दोषियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने माना कि अपराध जघन्य और बर्बर था. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश वीरेंद्र कुमार ने आरोपी आशीष बहुगुणा उर्फ आशु, सूरज, मनोज और आकाश को सजा सुनाई है.
साल 2012 में हुई था वारदात
अभियोजन पक्ष के अनुसार चारों आरोपियों ने 10 और 11 सितंबर, 2012 की रात को कॉन्स्टेबल बिजेंद्र की चाकू मारकर हत्या कर दी थी इसके अलावा दो लोगों इरशाद और कॉन्स्टेबल संदीप को भी चाकू मारकर घायल कर दिया था. अदालत ने 8 अप्रैल को पारित एक आदेश में कहा मृतक बिजेंदर जो दिल्ली पुलिस में कांस्टेबल के रूप में कार्यरत था, के परिवार के सदस्यों और कांस्टेबल संदीप कुमार और इरशाद के आघात को समझा जा सकता है. दोषियों द्वारा किए गए अपराध जघन्य और बर्बर हैं.
302 के तहत आजीवन कारावास की सजा
अदालत ने कहा हालांकि गंभीर परिस्थितियां कम करने वाली परिस्थितियों से अधिक महत्वपूर्ण हैं, लेकिन वर्तमान मामला ‘दुर्लभ से दुर्लभतम’ सिद्धांत के दायरे में नहीं है. अदालत ने अपने सामने मौजूद सबूतों को ध्यान में रखते हुए चारों दोषियों को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सूरज को बटन-चालित चाकू रखने के लिए शस्त्र अधिनियम के तहत भी दोषी ठहराया गया और पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई गई. अदालत ने उन्हें उनके सामान्य इरादे के लिए सात साल की आरआई की सजा भी सुनाई.
आरोपियों को लोक सेवकों को जानबूझकर गंभीर चोट पहुंचाने के लिए पांच साल की सश्रम कारावास और लोक सेवकों को रोकने के लिए उन पर हमला करने या आपराधिक बल का उपयोग करने के लिए दो साल की सश्रम कारावास की सजा सुनाई गई और लोक सेवकों के काम में बाधा डालने के लिए तीन महीने के साधारण कारावास की सजा सुनाई गई. सभी सजाएं एक साथ जारी रहेंगी.
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