Operation Pushpak ( प्रतीकात्मक तस्वीर)
Operation Pushpak: भारत साल 2024 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बन जायेगा. एक रिपोर्ट में इस बात की जानकारी सामने आई है. रिपोर्ट के मुताबिक, तब सालाना 14 करोड़ भारतीय हवाई यात्रा करने लगेंगे. लेकिन हवाई यात्रा में आप कितने सुरक्षित हैं ये भगवान भरोसे है. बात अगर प्राइवेट जेट्स की करें तो आपको भारत एक्सप्रेस की ये खास रिपोर्ट जरूर पढ़नी चाहिए. भारत एक्सप्रेस के SIT head सुबोध जैन की investigation के दौरान सिविल एविएशन सेक्टर की कड़वी सच्चाई सामने आई जिसमें न केवल गृह मंत्रालय के Input को दरकिनार किया गया बल्कि Civil Aviation Ministry के अधिकारियों ने निजी चार्टर हवाई सेवा मुहैया कराने वाली कंपनी के कर्ताधर्ता एक सजायाफ्ता शख्स पर मेहरबानी कर VVIPs की जान खतरे में डाली.
इस मेहरबानी के लिए न केवल नियमों को ताक पर रखा जा रहा है बल्कि VVIPs की सुरक्षा से भी खिलवाड़ किया जा रहा है. यह पूरा मामला एक दागी शख्स अशोक चतुर्वेदी से जुडी निजी एयर चार्टर कंपनी A R Airways से जुड़ा हुआ है. इस कंपनी की सेवाओं का उपयोग करने वाली हस्तियों को इस बात का अंदाज़ा भी नहीं है कि किस तरह उनके जीवन को जोखिम में डाला जा रहा है. A R Airways की services लेने वालों में देश के बड़े उद्योगपती, राजनेताओं, नौकरशाह, फिल्मी सितारे, खिलाड़ी और कई मशहूर हस्तियां शामिल हैं.
भारत एक्सप्रेस की पड़ताल में कई ऐसी जानकारियां सामने आई हैं जो इसका खुलासा करती हैं कि A R Airways कंपनी का कर्ताधर्ता अशोक चतुर्वेदी कैसे नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ा रहा है और नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारी, केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिलने वाली ‘सिक्योरिटी क्लीयरेंस’ यानि अनिवार्य सुरक्षा मंजूरी नहीं मिलने के बावजूद कैसे नियमों का उल्लंघन करके चतुर्वेदी की एयरलाइंस को खुलेआम संरक्षण दे रहे हैं.
किसी भी गैर अनुसूचित एयरलाइन के Top management को नागरिक उड्डयन आवश्यकताएं धारा -3, श्रृंखला-सी, भाग-III के पैरा 11 का अनुपालन करना होता है. जिसके मुताबिक, “गैर-अनुसूचित ऑपरेटर के परमिट के renewal के लिए नई सुरक्षा मंजूरी यानि केंद्रीय गृह मंत्रालय के आन्तरिक सुरक्षा विभाग से अनिवार्य तौर पर New Security Clearance लेनी होती है. कंपनी और उसके निदेशकों की व्यक्तिगत सुरक्षा मंजूरी के renewal का अनुरोध परमिट की समाप्ति से 180 दिन पहले भारत सरकार के eSAHAJ पोर्टल के जरिए किया जाना चाहिए.
इस सुरक्षा मंजूरी को हासिल करने के लिए कंपनी के वरिष्ठ अधिकारियों व निदेशकों को उनके खिलाफ लंबित कानूनी मामलों की घोषणा करना अनिवार्य है. इनमें से किसी भी व्यक्ति को, किसी भी मामले में, दोषी पाया जाता है तो उसकी सुरक्षा मंजूरी को तब तक वैध नहीं किया जा सकता, जब तक वह कानूनी मामलों से मुक्त नहीं हो जाता. ऐसे व्यक्ति द्वारा इन तथ्यों को छिपाने पर संबंधित अधिकारियों द्वारा उस पर मुकदमा भी चलाया जा सकता है. Civil Aviation Requirements यानि CAR के प्रावधानों के मुताबिक, अगर किसी कारण से एयरलाइन के उच्च अधिकारियों की सुरक्षा मंजूरी रद्द कर दी जाती है तो एयर ऑपरेटर के परमिट का भी नवीनीकरण नहीं किया जा सकता. लेकिन A R Airways के मामले में हैरतंगेज तरीके से तमाम नियमों को ताक पर रख दिया गया.
अशोक चतुर्वेदी की राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स में भी गहरी पैठ
भारत एक्सप्रेस की investigation से मालूम चला कि A R एयरवेज़ कंपनी के मालिक अशोक चतुर्वेदी ने देश के सभी कानूनों को धता बताते हुए सत्ता में अपने ऊंचे रसूख का कैसे इस्तेमाल किया. उसने civil aviation sector के तमाम नियमों को ताक पर रख दिया. भारत के नामी उद्योगपति अशोक चतुवेर्दी की A R Airways के नाम से जो निजी चार्टर कंपनी है जिसे ‘क्लब वन एयर’ के नाम से जाना जाता है. Club One Air खुद को देश की सबसे पुरानी और सबसे बड़ी air charter company बताती है. कंपनी के operation base Delhi, मुंबई और विशाखापत्नम में मौजूद हैं. Fortune 500 companies के CEO’s, heads of state, film stars और world leaders इसके regular customers हैं. चूंकि ये एयरलाइन देश के VVIPs कहे जाने वाले और प्रभावशाली व्यक्तियों को अपनी सेवाऐं प्रदान करती है, लिहाजा माना जाता है कि इनके जरिए अशोक चतुर्वेदी की राजनेताओं और ब्यूरोक्रेट्स में भी गहरी पैठ है.
गौरतलब है कि A R Airways को एयर ऑपरेटर परमिट साल 2005 में दिया गया था, जिसे समय-समय पर renew किया गया. इसका आखिरी renewal साल 2019 से 2024 तक किया गया. लेकिन अहम् सवाल यह है कि जिस समय इस कंपनी को लाइसेंस दिया गया था, उस साल तक कंपनी का मालिक अशोक कुमार चतुर्वेदी रिश्वतखोरी के एक मामले में सीबीआई का अभियुक्त था. सीबीई ने उसे नवंबर 2001 में आबकारी आयुक्त सोमेश्वर मिश्रा को पांच लाख रुपए देने के मामले में मिश्रा के साथ गिरफ्तार किया गया था. ऐसे में सवाल यह भी है कि उसकी कंपनी ए आर एयरवेज को साल 2005 में लाइसेंस कैसे मिल गया? MHA और नागरिक उड्डयन मंत्रालय का कोई भी अधिकारी इस गोरखधंधे से पर्दा उठाने के लिए सामने आने की जुरर्त नहीं कर पा रहा है.
अशोक चतुर्वेदी को चार साल की सजा
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि चतुर्वेदी को साल 2010 में एक आपराधिक मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने दोषी ठहराया था. इस मामले में अशोक चतुर्वेदी को चार साल की सजा और पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया गया था. चतुर्वेदी को 13 दिसम्बर 2010 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के एक आदेश द्वारा जमानत पर रिहा कर दिया गया. लेकिन उसकी अपील के बावजूद उसे आरोप मुक्त नहीं किया गया और उसके conviction order को बरकरार रखा गया. इस मामले में उनकी याचिका अभी भी High court के समक्ष लंबित है. जानकारी के लिए बता दें कि इसी मामले में उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव को भी जेल जाना पड़ा था. दिलचस्प बात ये है कि CBI ने भी इस मामले में अशोक चतुर्वेदी की जमानत खारिज कराने के लिए कोई पहल नहीं की है.
पड़ताल के दौरान मालूम चला कि चर्तुर्वेदी ने अपनी कंपनी को कानून की गिरफ्त से दूर रखने के लिए खुद को इसके निदेशक मंडल से दूर रखा है. यही वजह है कि कंपनी की website और सार्वजनिक दस्तावेजों में अशोक चतुर्वेदी का नाम तक मौजूद नहीं है. लेकिन भारत एक्सप्रेस के पास मौजूद दस्तावेजों के मुताबिक 30 अगस्त 2019 में A R Airways ने माना है कि उनकी कंपनी का कर्ताधर्ता और मालिक अशोक चतुर्वेदी ही है. कंपनी की कई साल की Balance sheet में भी यह हकीकत दर्ज है. साल 2005 में जब से A R Airways बनी है तब से अशोक चतुर्वेदी इसका मालिक है लेकिन इनके स्वामित्व को कहीं दर्शाया नहीं गया. भारत एक्सप्रेस द्वारा विस्तृत जांच करने पर ये तथ्य सामने आया कि A R Airways का कर्ताधर्ता अशोक चतुर्वेदी ही है.
जब नागरिक उड्डयन मंत्रालय की खुली आंखें
साल 2020 में नागरिक उड्डयन मंत्रालय यानी Civil Aviation Ministry की आंखें खुली और उसने 30 जुलाई 2020 को A R Airways को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया. जिसमें लिखा गया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय से मिले इनपुट के आधार पर, नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अपने 26 जून 2020 के लेटर के जरिए अशोक चतुर्वेदी की सुरक्षा मंजूरी के रिन्वल से इंकार कर दिया है. नोटिस में यह उल्लेख किया गया कि सुरक्षा मंजूरी से इनकार के मद्देनजर, अशोक चतुर्वेदी नागरिक उड्डयन आवश्यकताओं के अनुपालन में नहीं रहे. नोटिस में यह भी लिखा था कि क्यों न आपका एयर ऑपरेटर परमिट भी रद्द कर दिया जाए. अशोक चतुर्वेदी व उनकी कंपनी द्वारा संतोषजनक जवाब न मिलने पर मंत्रालय ने 3 सितम्बर 2020 और 4 सितम्बर 2020 के आदेशों के जरिए, उन्हें सुरक्षा मंजूरी देने से इनकार करने और उनके कर्मचारियों के हवाई अड्डे के प्रवेश परमिट भी रद्द कर दिए. इसी आधार पर चतुर्वेदी के एयर ऑपरेटर की सुरक्षा मंजूरी को भी अस्वीकार कर दिया गया. चूंकि एयर ऑपरेटर परमिट के नवीनीकरण के लिए सुरक्षा मंजूरी एक पूर्व-आवश्यकता है, इसलिए 07.09.2020 के आदेश के जरिए डीजीसीए ने A R Airwaysका एयर ऑपरेटर परमिट भी रद्द कर दिया. मगर यह कानून का राज कायम रखने की कवायद नहीं बल्कि एक ऐसी नूरा कुश्ती थी जो कुछ भ्रष्ट अधिकारियों ने शायद चतुर्वेदी के इशारे पर ही शुरू की थी.