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Darbhanga AIIMS निर्माण कार्य में हो रही देरी! भूख हड़ताल पर बैठे MSU के सदस्य, कब होगी सुनवाई?

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के एक पत्र के अनुसार, निचले इलाके और जल निकासी के मुद्दों जैसे संभावित नुकसान के कारण एम्स दरभंगा के लिए प्रस्तावित साइट को अनुपयुक्त माना गया था.

MSU के सदस्य

MSU के सदस्य

Darbhanga AIIMS: दरभंगा में एम्स के निर्माण की मांग को लेकर मिथिला स्टूडेंट यूनियन के सदस्य सोमवार से भूख हड़ताल पर बैठे हैं. साल 2015 में दरभंगा एम्स के साथ-साथ देवघर और गोरखपुर एम्स की घोषणा की गई थी. गोरखपुर और देवघर एम्स की OPD भी चालू हो गई, लेकिन दरभंगा एम्स का निर्माण अभी तक नहीं हो सका है. दरभंगा एम्स के प्रति केंद्र और राज्य सरकार की बेरुखी को देखते हुए मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने डीएमसीएच परिसर में अनिश्चितकालीन आमरण अनशन शुरू कर दिया है.

MSU ने सरकार को सौंपा पत्र

एमएसयू के सदस्य सोमवार से इस उम्मीद में भूखे-प्यासे बैठें हैं कि सरकार उनकी मांगों को मानेगी. इसी कड़ी में मंगलवार को एमएसयू के एक प्रतिनिधी मंडल दिल्ली में प्रधानमंत्री कार्यालय PMO, गृह मंत्री कार्यालय, स्वास्थ्य मंत्री कार्यालय, पंचायती राज मंत्री गिरिराज सिंह, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय को पत्र सौंप कर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल के बारे में सूचित किया है. मिथिला स्टूडेंट यूनियन ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द मामले में केंद्रीय कमेटी गठित करके अनशनकारियों से वातचीत की जाए.

इस बार हम झुकने वाले नहीं हैं: अभिषेक झा

बता दें कि बिहार में सियासी उलट फेर भी दरभंगा एम्स के निर्माण कार्य में हो रही देरी की एक वजह रही है. अनशनकारी अभिषेक झा कहते हैं, “2015 में दरभंगा एम्स सहित देश के कई राज्यों में एम्स निर्माण की घोषणा की गई. कई राज्यों में पढ़ाई के साथ-साथ इलाज भी शुरू हो गया है, लेकिन दरभंगा एम्स के लिए एक ईंट तक नहीं लगाई गई.”

अभिषेक कहते हैं, “साल 2020 में हमलोगों ने ‘घर-घर से ईंट लाएंगे, दरभंगा एम्स बनाएंगे’ मुहिम की शुरुआत की. जिसके बाद केंद्र सरकार और राज्य सरकार गहरी निंद से जग गई और प्रस्तावित जगह पर मिट्टी भराई का काम शुरू हुआ.” अभिषेक ने कहा, “जब जब हम लोग एम्स को लेकर आंदोलन करते हैं सरकार कुछ-कुछ करने लगती है. जैसे ही कुछ दिन बीतता है, दरभंगा एम्स का मामला शांत हो जाता है. इस बार हम झुकने वाले नहीं हैं. जब तक सरकार की ओर से कोई ठोस आश्वासन नहीं दिया जाता है तब तक हम अनशन से उठेंगे नहीं.”

कहां फंसा है पेंच?

बता दें कि दरभंगा एम्स को लेकर राज्य सरकार और केंद्र सरकार के बीच तीखी बहस होती रही है. राजद नेता और बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने दावा किया कि बिहार सरकार ने एम्स के निर्माण के लिए मुफ्त जमीन उपलब्ध कराई है और धन आवंटित किया है. हालांकि, केंद्र सरकार ने इस परियोजना को मंजूरी नहीं दी, जिससे देरी हुई. हाल ही में तेजस्वी यादव ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया को लिखा एक पत्र साझा किया था.

पत्र के जवाब में, मंडाविया ने तेजस्वी यादव के आरोपों का खंडन किया और कहा कि एम्स दरभंगा की अनुमति सितंबर 2020 में केंद्र सरकार ने दी थी. मंडाविया ने कहा कि बिहार सरकार ने एम्स के प्रस्तावित जगह को बदल दिया, जिससे और जटिलताएं पैदा हो हुईं हैं. केंद्र सरकार ने राज्य सरकार से एम्स के निर्माण के लिए उपयुक्त जगह देने की मांग की है. चूंकि जमीन को लेकर राजनीतिक बहस जारी है, एम्स दरभंगा का निर्माण लंबित है, जिससे क्षेत्र के लोग बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं.

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव के एक पत्र के अनुसार, निचले इलाके और जल निकासी के मुद्दों जैसे संभावित नुकसान के कारण एम्स दरभंगा के लिए प्रस्तावित साइट को अनुपयुक्त माना गया था. मंत्रालय ने बिहार सरकार से परियोजना के लिए वैकल्पिक स्थान उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था.

-भारत एक्सप्रेस

 

 

 

 

 

 

 

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