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UP News: ताज कॉरिडोर घोटाला का जिन्न फिर आया बाहर, 20 साल बाद मिली अभियोजन को मंजूरी, मायावती समेत 11 आरोप‍ियों की बढ़ सकती है मुश्किलें

Lucknow: इस मामले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के साथ ही पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी और प्रदेश सरकार के तत्कालीन अधिकारियों सहित 11 लोगों को आरोपित बनाया था.

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बसपा सुप्रीमो मायावती (फोटो ANI)

UP News: यूपी में निकाय चुनाव को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है, सभी राजनीतिक दल प्रचार में जुट गए हैं.  इस बीच बसपा सुप्रीमो मायावती को लेकर एक बड़ी खबर सामने आ रही है. बहुचर्चित ताज कॉरिडोर परियोजना में घोटाले के मामले में यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती की मुश्किलें बढ़ती नजर आ रही हैं.

जानकारी सामने आ रही है कि 175 करोड़ रुपये की कॉरिडोर परियोजना में हुए घोटाले के मामले में सीबीआई को नेशनल प्रोजेक्ट्स कंस्ट्रक्शन कारपोरेशन लिमिटेड (NPCC) के सेवानिवृत्त एजीएम महेन्द्र शर्मा के खिलाफ बीस साल बाद पहली बार अभियोजन की मंजूरी मिली है.

22 मई को होगी मामले की सुनवाई

बता दें कि अब इस घोटाले के मामले में 22 मई को सुनवाई होने जा रही है. इस मामले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के साथ ही पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी व प्रदेश सरकार के तत्कालीन अधिकारियों सहित 11 लोगों को आरोपित बनाया था. बता दें कि मायावती और नसीमुद्दीन सहित सरकार के अन्य अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन का मामला लंबित चल रहा है. हालांकि सीबीआइ पश्चिम के विशेष न्यायाधीश की अदालत में इस मामले की सुनवाई 22 मई को होने जा रही है.

जानें क्या है मामला

जानकारी के मुताबिक, ताज कॉरिडोर घोटाले के मामले में 5 अक्टूबर 2002 को मामला दर्ज किया गया था. इसके बाद 2003 में सीबीआई (CBI) ने मामले की जांच शुरू की थी. इस सम्बंध में जानकारी सामने आई थी कि परियोजना को लेकर लखनऊ में 2002 में एक बैठक हुई थी, जिस में एनपीसीसी से काम करवाने को लेकर हामी भरी गई थी. इसके बाद एनपीसीसी ने परियोजना पर काम शुरू कर दिया था. तो वहीं सीबीआई द्वारा तैयार की गई चार्जशीट में कहा गया है कि ताज कॉरिडोर को बनाने के लिए एनपीसीसी को ठेके का आवंटन किए बिना ही 17 करोड़ और 20 करोड़ की धनराशि जारी कर दी गई थी. यहां तक कि कंपनी को वर्क आर्डर भी जारी नहीं किया गया था न ही डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) ली गई थी.

कई सफेदपोश चेहरे होंगे बेनकाब

जानकारी सामने आ रही है कि इस मामले में 20 साल बाद एनपीसीसी के तत्कालीन एजीएम महेन्द्र शर्मा के खिलाफ अभियोजन की मंजूरी मिलने के बाद एक बार फिर से घोटाले के जिन्न को बाहर निकाला जा सकता है और इसकी परतें उधेड़ी जा सकती हैं. खबर ये भी है कि अगर ऐसा हुआ तो कई सफेद पोश चेहरे बेनाकाब होंगे. क्योंकि अब सीबीआई एनपीसीसी के अध्यक्ष व प्रबंध निदेशक रजनीकांत अग्रवाल को इस मामले में अतिरिक्त गवाह बनाने जा रही है. इससे मायावती सहित पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी तथा अन्य अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं.

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सीबीआई ने इन लोगों को बनाया है आरोपित

इस मामले में सीबीआई ने पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के साथ ही पूर्व मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी, पूर्व मुख्य सचिव डीएस बग्गा, मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रमुख सचिव पीएल पुनिया, पर्यावरण विभाग के तत्कालीन प्रमुख सचिव आरके शर्मा, पर्यावरण विभाग के तत्कालीन सचिव वीके गुप्ता, पर्यावरण विभाग के तत्कालीन अनु सचिव राजेन्द्र प्रसाद, केन्द्रीय पर्यावरण व वन विभाग के तत्कालीन सचिव केसी मिश्रा, एनपीसीसीएल के तत्कालीन चेयरमैन व एमडी एससी बाली, इश्वाकु इंडिया प्राइवेट लिमिटेड नई दिल्ली, कंसलटेंट्स आर्कीटेक्टस एंड प्लानर्स लिमिटेड (कैप्स) नई दिल्ली को आरोपित बनाया है.

-भारत एक्सप्रेस

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