सांकेतिक फोटो
UP News: उत्तर प्रदेश के बहराइच से चौंका देने वाली खबर सामने आ रही है. दरअसल यहां फर्जी दस्तावेज के सहारे सामान्य जाति (ठाकुर) के युवक ने अनुसूचित जाति का प्रमाण पत्र बनवाकर चिकित्सा विश्वविद्यालय में एमबीबीएस के पाठ्यक्रम में प्रवेश ले लिया और फिर फर्जी प्रमाण पत्र की सीढ़ियां चढ़ते हुए डॉक्टर बन बैठा. इसकी जानकारी जब उसके ही गांव के एक व्यक्ति को हुई तो उसने उसके खिलाफ न्यायालय में 156 (3) के तहत वाद दाखिल कर दिया और फ़र्ज़ी सर्टिफिकेट से डॉक्टर बने गेंदा सिंह के ऊपर मुकदमा दर्ज करवा दिया.
मीडिया सूत्रों के मुताबिक, पयागपुर के शिवदहा निवासी नायब सिंह ने अदालत को बताया कि डॉ. गेंदा सिंह ने कूट रचित दस्तावेज तैयार करके सही के रूप में प्रयोग किया है. किसी एक पात्र अनुसूचित जाति के व्यक्ति को नुकसान पहुंचाते हुए छल, कपट व कूट रचना का अपराध किया है. इसके आधार पर सरकारी नौकरी भी हासिल की. नायब सिंह ने ये भी जानकारी दी कि बाद में कार्रवाई के डर से इस्तीफा भी दे दिया. इसी के साथ नायब सिंह ने कोर्ट को ये भी जानकारी दी कि वर्तमान समय में उक्त प्रमाण पत्र के आधार पर ही एलआरपी कॉलोनी बहराइच के सामने डॉ. सर्वेश शुक्ला के अस्पताल के पास आस्था पैथालॉजी के नाम से गेंदा सिंह ने पैथलॉजी खोल ली है, जो कि पूर्ण रूप से गैर कानूनी है.
कोर्ट ने मुकदमा दर्ज करने का दिया आदेश
बता दें कि, क्षेत्रीय लेखपाल की रिपोर्ट के साथ ही कई दस्तावेज भी कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत कर दिए गए हैं, जिसके आधार पर सरकारी नौकरी पाने वाला व्यक्ति ठाकुर जाति का साबित हुआ है. इसी सबूत के आधार पर एसीजेएम कृष्ण कुमार ने प्रभारी निरीक्षक पयागपुर को मुकदमा दर्ज करने का आदेश जारी कर दिया है. इस आदेश के बाद डॉ गेंदा सिंह पर 419 और 420 के तहत पयागपुर थाने में मुकदमा पंजीकृत हो गया है.
-भारत एक्सप्रेस
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