पत्रकारों से बात करती हुई शिवरंजनी
ओपेन्द्र गोस्वामी
UP News: सनातन धर्म में तप और तपस्या से मनचाहा वर पाने का उल्लेख धर्म शास्त्रों में भी मिलता है. कुछ इसी तरह गंगोत्री से बागेश्वर धाम तक सिर पर गंगा कलश लेकर पैदल जा रही शिवरंजनी तिवारी पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के दर्शन की लालसा रखती हैं, जिन्हें अपना प्राणनाथ मान चुकी शिवरंजनी इस भीषण गर्मी में तमाम दुश्वारियों के बीच महोबा पहुंची हैं. यहां से बागेश्वर धाम की दूरी मात्र 80 किलोमीटर ही रह जाती है. महोबा पहुंचते ही शिवरंजनी तिवारी का जगह-जगह भक्तों द्वारा स्वागत किया जा रहा है. महिलाएं भी मंगल गीत गाकर उन्हें आशीर्वाद दे रही हैं.
16 जून को शिवरंजनी कलश यात्रा लेकर बागेश्वर धाम पहुंचेंगी. पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से शिवरंजनी तिवारी विवाह करने की इच्छा रखती हैं. उन्होंने शायरी के अंदाज में कहा “जब तक बिका न था कोई पूछता न था, आपने ख़रीदकर मुझे अनमोल कर दिया”. महोबा पहुंचीं शिवरंजनी ने पत्रकारों से वार्ता करते हुए कहा कि गंगोत्री से सिर पर गंगाजल का कलश लेकर पैदल ही मध्य प्रदेश के चर्चित बागेश्वर धाम जा रही हैं. तकरीबन 1150 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए इस भीषण गर्मी में शिवरंजनी अपने पिता और भाई के साथ बुंदेलखंड के महोबा पहुंची हैं.
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महोबा पहुंचने पर भक्तों द्वारा उनका स्वागत किया जा रहा है. एक दिन अपने भक्त के घर में रुककर शिवरंजनी फिर से 48 डिग्री तापमान में पैदल ही अपने प्राणनाथ के दर्शन के लिए चल पड़ी हैं. गंगा कलश की पूजा विधि विधान से करने के बाद शिवरंजनी तिवारी ने बागेश्वर धाम सरकार की जय के साथ-साथ पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की जय बोलते हुए अपनी यात्रा महोबा से एक बार फिर से शुरू की है. जहां-जहां वह पहुंच रही हैं वहां-वहां महिलाओं और भक्तों की भीड़ इकट्ठा हो जाती है और मंगल गीतों के साथ अपार शुभकामनाएं महिलाएं उनको दे रही हैं.
सफर में आई कठिनाइयां
शिवरंजनी तिवारी ने पत्रकारों से बात करते हुए बताया कि उनको सफर में तमाम कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. वह कहती हैं कि जब भी कोई शुभ कार्य होता है तो उसमें कठिनाइयां और चुनौतियां होना स्वाभाविक हैं. ऐसे में उनके इस शुभ कार्य में भी तमाम कठिनाइयां सामने आई हैं जिन्हें पारकर वह बुंदेलखंड के महोबा तक आ गई हैं. उन्होंने कहा कि अब यहां से बागेश्वर धाम की दूरी ज्यादा नहीं रह गई है. 1 मई से शुरू हुई इस पदयात्रा में गंगोत्री में ही ग्लेशियर फट जाने से उन्हें पहली दिक्कत उठानी पड़ी. वहीं उसके बाद भीषण गर्मी ने उनका रास्ता रोका है लेकिन इस बीच कहीं- कहीं भगवान इंद्र की कृपा से मौसम सुहाना भी होता गया.
साधु-संतों का भी मिल रहा है आशीर्वाद
उन्होंने कहा कि पदयात्रा में जहां-जहां दिक्कत आई वहां- वहां बालाजी सरकार का ध्यान किया और सब अपने आप ही व्यवस्थित होता चला गया है. यहीं नहीं लू के थपेड़े भी उनकी यात्रा पर प्रभाव नहीं डाल सकें. उन्होंने कहा, “आ गए शौक के आखिरी मोड़ पर राह के बेजख्म देखते देखते..एक दिन मंजिल पर भी पहुंच जाएंगे प्रभु के नक्शे कदम देखते देखते”.
15 जून से एकांतवास में चले जाएंगे पंडित धीरेंद्र शास्त्री
बता दें कि 16 जून तक शिवरंजनी तिवारी बागेश्वर धाम पहुंचने का दावा कर रही हैं, लेकिन इस बीच खबर आ रही है पंडित धीरेन्द्र शास्त्री 15 जून से एकांतवास के लिए चले जाएंगे. इस उलझन के बीच शिवरंजनी तिवारी का सफर महोबा से जारी है. उन्होंने कहा कि इस तपस्या के फल मुझे मिलने शुरू हो गए हैं. रास्ते में जगह-जगह साधु संतों का आशीर्वाद मिल रहा है.
-भारत एक्सप्रेस
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