ज्ञानवापी सर्वे (फोटो-सोशल मीडिया)
Gyanvapi Case: वाराणसी में ज्ञानवापी मस्जिद मामले में लगातार कोर्ट ऐतिहासिक फैसले ले रही है, तो वहीं इसी बीच ज्ञानवापी मामले के पूर्व कोर्ट कमिश्नर विशाल सिंह ने अपनी जान को खतरा बताया है. इसको लेकर उन्होंने सीएम योगी आदित्यनाथ को एक लेटर लिखा है और इसकी जानकारी दी है. साथ ही सुरक्षा बहाल करने की मांग की है. विशाल सिंह ने लेटर में एक समुदाय विशेष से जान को खतरा बताया है.
मालूम हो कि ज्ञानवापी में एएसआई सर्वे से पहले अदालत ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त कर सर्वे का आदेश दिया था. इसको लेकर विशाल सिंह को जिम्मेदारी सौंपी गई थी और उन्होंने सर्वे कार्यवाही पूरी कर रिपोर्ट अदालत में सौंपी थी. फिर इसी रिपोर्ट के आधार पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) को ज्ञानवापी में सर्वे करने का आदेश किया गया था. हालांकि अब सर्वे कार्य भी पूरा हो चुका है और इसकी रिपोर्ट भी 18 दिसम्बर को पेश की जा चुकी है. तो वहीं मामले की गम्भीरता को देखते हुए विशाल सिंह को पहले सुरक्षा दी गई थी, लेकिन हाल ही में इसे हटा लिया गया. तो वहीं विशाल सिंह ने सीएम योगी को लिखे लेटर में एक बार फिर से सुरक्षा बहाल करने की मांग की है.
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कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की खारिज की 5 याचिकाएं
गौरतलब है कि ज्ञानवापी मामले में मंगलवार की सुबह इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है और मुस्लिम पक्ष की सभी (5) याचिकाएं खारिज कर दी हैं. यह फैसला जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की सिंगल बेंच द्वारा सुनाया गया है. बता दें कि इस मामले में मुस्लिम पक्ष ने हिंदू पक्ष के 1991 के मुकदमे को चुनौती देते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की थीं. अंजुमन इंतेजामिया कमेटी और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में 1991 में वाराणसी की अदालत में दायर मूल वाद की पोषणीयता को चुनौती दी थी. मुस्लिम पक्ष की ओर से दायर कुल 5 याचिकाओं पर कोर्ट में सुनवाई चल रही थी, जिसमें से 2 याचिकाएं सिविल वाद की पोषणीयता और 3 याचिकाएं ASI सर्वे आदेश के खिलाफ थीं. फिलहाल कोर्ट ने ये सभी याचिकाएं खारिज कर दी हैं. बता दें कि याचिकाएं दायर करते हुए मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला दिया था और कहा था कि, इस कानून के मुताबिक, ज्ञानवापी परिसर में कोई कानून कार्रवाई नहीं की जा सकती है. बता दें कि इस केस में 8 दिसंबर को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनवाई पूरी होने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था.
-भारत एक्सप्रेस
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