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Waqf Amendment Bill: संसद में बोले अमित शाह- गजट नोटिफिकेशन की तारीख से लागू होगा कानून, वक्फ में 1 भी गैर मुस्लिम नहीं आएगा

Waqf Amendment Bill in Parliament: आज लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर जोरदार बहस हुई. अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह रेट्रोस्पेक्टिव नहीं होगा और पारदर्शिता सुनिश्चित करेगा. विपक्ष ने विरोध किया, लेकिन सरकार इस मुद्दे पर अडिग रही.

amit-shah speech

संसद में बोलते गृहमंत्री अमित शाह

Amit Shah Speech in Lok Sabha: आज लोकसभा में केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री किरेन रिजिजू ने वक्फ संशोधन विधेयक-2025 पेश किया, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई. मुस्लिम समाज का एक वर्ग इस विधेयक का समर्थन कर रहा है, जबकि कुछ समूह विरोध में खड़े हैं. एनडीए और उसकी सहयोगी पार्टियां विधेयक को पारित कराने के लिए एकजुट हैं, जबकि विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक इसे अस्वीकार कर रहा है.

‘रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट’ का नहीं होगा असर – अमित शाह

गृह मंत्री अमित शाह ने विधेयक पर चर्चा के दौरान स्पष्ट किया कि यह कानून रेट्रोस्पेक्टिव इफेक्ट (पूर्व प्रभाव) से लागू नहीं होगा. उन्होंने कहा कि कुछ लोग डर फैलाने की कोशिश कर रहे हैं कि यह विधेयक अतीत में भी लागू होगा, लेकिन ऐसा नहीं है. यह केवल भारत सरकार द्वारा गजट नोटिफिकेशन जारी करने के बाद प्रभावी होगा. शाह ने कहा, “हम वोटबैंक के लिए कोई कानून नहीं लाते, कानून न्याय के लिए आता है.”

वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता सुनिश्चित करने पर जोर

गृह मंत्री ने कहा कि वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण बिना स्पष्ट प्रक्रिया के नहीं किया जा सकता. उन्होंने बताया कि पहले वक्फ बोर्ड के आदेशों को अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती थी, लेकिन अब इसे बदल दिया गया है. शाह ने कहा कि यह सरकार संविधान के तहत पारदर्शी प्रक्रिया अपनाने में विश्वास रखती है.

Amit Shah

चर्चों और अन्य धार्मिक संपत्तियों पर दावों को लेकर विवाद

अमित शाह ने चर्चा के दौरान बताया कि विभिन्न राज्यों में वक्फ बोर्ड द्वारा चर्चों, मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थलों पर दावा किया गया है. उन्होंने कहा कि दक्षिण भारत के कई सांसद अपने क्षेत्र के चर्चों को नाराज कर रहे हैं. तेलंगाना में 1700 एकड़, असम के मोरेगांव जिले की जमीन, हरियाणा के गुरुद्वारों से जुड़ी भूमि, और प्रयागराज में चंद्रशेखर आजाद पार्क को भी वक्फ संपत्ति घोषित करने का प्रयास किया गया. शाह ने कहा, “वक्फ संपत्ति मुस्लिम समाज के दान से बनाई जाती है, इसमें सरकार का कोई हस्तक्षेप नहीं है, लेकिन इसे पारदर्शिता के दायरे में लाने की जरूरत है.”

वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होंगे: गृह मंत्री

अमित शाह ने सदन में यह भी स्पष्ट किया कि वक्फ बोर्ड में कोई गैर-मुस्लिम सदस्य नहीं होगा. उन्होंने कहा कि वक्फ बोर्ड धार्मिक गतिविधियों का संचालन करता है, इसलिए उसमें गैर-मुस्लिमों की नियुक्ति नहीं की जाएगी. हालांकि, वक्फ परिषद की निगरानी और प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता लाने के लिए यह आवश्यक है कि इसकी कार्यप्रणाली को उचित जांच-पड़ताल के अधीन रखा जाए.

Amit Shah

2013 के संशोधन को बताया अन्यायी, नई व्यवस्था पर जोर

गृह मंत्री ने कहा कि 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लाया गया वक्फ संशोधन विधेयक अन्यायी था. उन्होंने बताया कि 2013 तक वक्फ बोर्ड के अधीन 18 लाख एकड़ भूमि थी, लेकिन 2013 के बाद यह 39 लाख एकड़ हो गई. उन्होंने सवाल उठाया कि आखिर कैसे 21 लाख एकड़ अतिरिक्त जमीन वक्फ संपत्ति बन गई. उन्होंने आरोप लगाया कि कई संपत्तियां पहले लीज पर दी गई थीं, लेकिन बाद में वे रिकॉर्ड से गायब हो गईं.

सीएए और अनुच्छेद 370 का जिक्र, सरकार की नीतियों का बचाव

अमित शाह ने चर्चा के दौरान नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)और अनुच्छेद 370 के हटाने का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि जब CAA लागू हुआ था, तब आरोप लगाए गए थे कि यह मुस्लिम विरोधी कानून है, लेकिन आज तक किसी भी मुस्लिम की नागरिकता नहीं छीनी गई. उन्होंने कहा, “हमारे फैसले केवल विकास और न्याय के लिए हैं, न कि वोटबैंक की राजनीति के लिए.”

Amit Shah, cooperative societies

विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार का रुख साफ

लोकसभा में विपक्षी सांसदों ने वक्फ संशोधन विधेयक पर जमकर विरोध किया, लेकिन गृह मंत्री अमित शाह ने स्पष्ट किया कि यह विधेयक न्यायसंगत और पारदर्शी है. उन्होंने कहा कि सरकार ने इस पर विस्तृत चर्चा कर सभी पक्षों को ध्यान में रखा है. उन्होंने कहा, “2014 के बाद मोदी सरकार ने विकास की राजनीति की शुरुआत की है और यही आगे भी जारी रहेगा.”

विधेयक पारदर्शिता और न्याय सुनिश्चित करेगा

वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य वक्फ संपत्तियों के दुरुपयोग को रोकना और पारदर्शिता सुनिश्चित करना है. सरकार का कहना है कि यह विधेयक किसी भी समुदाय के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह न्याय और निष्पक्षता को बढ़ावा देगा. हालांकि, विपक्ष का मानना है कि यह विधेयक अल्पसंख्यकों के अधिकारों को कमजोर कर सकता है. आने वाले दिनों में इस विधेयक को लेकर राजनीतिक बहस और तेज होने की संभावना है.



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