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Water Crisis: डराती है दक्षिण भारत में पानी को लेकर आई CWC की रिपोर्ट, ऐसा रहा तो पूरे देश में…

Water Crisis: सीडब्ल्यूसी के विश्लेषण से यह भी संकेत मिलता है कि भंडारण स्तर में सप्ताह-दर-सप्ताह कमी हो रही है, जिससे न केवल दक्षिणी क्षेत्र बल्कि पूरे देश पर असर पड़ रहा है.

Water Crisis

Water Crisis

Water Crisis: जीवन के लिए आवश्यक तत्वों में से पानी एक है. लेकिन विगत कुछ सालों से बढ़ती आबादी के दबाव, प्रकृति के साथ हो रही छेड़छाड़ के अलावा तमाम ऐसी अन्य वजहें हैं, जिनसे दुनिया के कई ईलाकों में जल की कमी देखी जा रही है. वहीं दक्षिण भारत भी आज पानी की गंभीर किल्लत से जूझ रहा है, क्योंकि यहां जलाशयों का स्तर 15 प्रतिशत तक गिर गया है. हाल में ही आई केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) के आंकड़ें तो हैरान करने वाले हैं.

सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों पर गौर करें तो दक्षिणी क्षेत्र में जलाशयों में कुल भंडारण क्षमता वर्तमान में केवल 15 प्रतिशत रह गई है और इस वर्ष भंडारण क्षमता पिछले 10 वर्ष की इसी अवधि के औसत से कम है. सीडब्ल्यूसी के विश्लेषण से यह भी संकेत मिलता है कि भंडारण स्तर में सप्ताह-दर-सप्ताह कमी हो रही है, जिससे न केवल दक्षिणी क्षेत्र बल्कि पूरे देश पर असर पड़ रहा है. दक्षिणी क्षेत्र की जलाशय क्षमता पिछले बृहस्पतिवार तक 16 प्रतिशत थी.

दक्षिणी क्षेत्र में पानी का संकट गंभीर

सीडब्ल्यूसी की रिपोर्ट में कहा गया है कि दक्षिणी क्षेत्र गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है और जलाशयों में कुल जल भंडारण क्षमता केवल 15 प्रतिशत ही रह गई है. सीडब्ल्यूसी के आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल भंडारण का स्तर पिछले साल की इसी अवधि के दस साल के औसत से भी कम है.

राष्ट्रीय स्तर पर जिन 150 जलाशयों की निगरानी की गई उनमें कुल भंडारण क्षमता 178.784 अरब घन मीटर (बीसीएम) है, जो देशभर में अनुमानित 257.812 बीसीएम का लगभग 69.35 प्रतिशत है. चालू वर्ष के दौरान जल भंडारण पूरे देश में पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में कम है, जबकि उत्तरी, पूर्वी दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्र में यह इसी अवधि के दौरान पिछले 10 वर्ष के औसत भंडारण से कम है. 9 मई को जारी किये गये जलाशय भंडारण बुलेटिन के अनुसार दक्षिणी क्षेत्र, जिसमें आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु शामिल हैं, की कुल भंडारण क्षमता 53.334 बीसीएम है. कुल मिलाकर आंकड़े बतलाते हैं कि यदि हम अभी भी नहीं चेते तो देश की एक बड़ी आबादी की प्यास बुझानी मुश्किल हो जाएगी.

पूर्वी क्षेत्र में भी हालात बिगड़ रहे

रिपोर्ट के अनुसार इन जलाशयों में उपलब्ध भंडारण 7.921 बीसीएम है, जो उनकी कुल क्षमता का केवल 15 प्रतिशत है. उत्तरी क्षेत्र में हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान शामिल हैं. उत्तरी क्षेत्र में सीडब्ल्यूसी की निगरानी में 10 जलाशय हैं जिनकी कुल भंडारण क्षमता 19.663 बीसीएम है.

बुलेटिन में इन जलाशयों में उपलब्ध मौजूदा भंडारण की मात्रा 5.759 बीसीएम बताई गई है, जो कुल भंडारण क्षमता का 29 प्रतिशत है. पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान, भंडारण 37 प्रतिशत था, और 10 साल का औसत भंडारण 33 प्रतिशत था. इसी तरह, असम, झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नगालैंड और बिहार सहित पूर्वी क्षेत्र में 23 जलाशय हैं जिनकी कुल भंडारण क्षमता 20.430 बीसीएम है. ये आंकड़े दक्षिण से बेहतर तो जरूर हैं, लेकिन विगत वर्षों की तुलना में यहां पर भी पानी की होती जा रही कमी को ही बतलाते हैं.

पश्चिमी, उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में भी स्थिति चिंताजनक

पश्चिमी क्षेत्र में गुजरात और महाराष्ट्र शामिल हैं और वहां भंडारण स्तर 11.771 बीसीएम है जो 49 निगरानी जलाशयों की कुल क्षमता का 31.7 प्रतिशत है. यह पिछले वर्ष के भंडारण स्तर (38 प्रतिशत) और दस साल के औसत (32.1 प्रतिशत) की तुलना में कम है. इसी तरह, उत्तरी और मध्य क्षेत्रों में भी जल भंडारण स्तर में गिरावट देखी गई है.

-भारत एक्सप्रेस

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