पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (फाइल फोटो)
Mamta Banerjee: पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ लामबंद हैं. गैर-बीजेपी शासित राज्यों और खासकर पश्चिम बंगाल से भेदभाव का आरोप लगा रही हैं. लेकिन, दीदी (Mamata Banrjee) के राज्य में उनके कर्मचारी भी उनसे काफी नाराज हैं और अनदेखी का आरोप लगा रहे हैं. एक तरफ जहां 30 मार्च को ममता बनर्जी केंद्र सरकार की योजनाओं का भुगतान नहीं करने पर मोदी सरकार के खिलाफ नई दिल्ली में धरना प्रदर्शन करेंगी, वहीं दूसरी तरफ इसी तारीख को पश्चिम बंगाल के कर्मचारी महंगाई भत्ता (DA) बकाया के मुद्दे पर विरोध करेंगे. विरोध जताने के लिए कर्मचारियों ने 30 मार्च को अवकाश पर जाने का फैसला किया है.
पश्चिम बंगाल में कर्मचारियों के आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त मंच के एक प्रवक्ता ने कहा कि सामूहिक अवकाश पर जाने के अलावा, वे उसी दिन कोलकाता में एक विशाल विरोध मार्च का आयोजन भी करेंगे. प्रवक्ता ने कहा, “इससे पहले 26 मार्च से हम इस संबंध में एक सामूहिक ईमेल अभियान शुरू करेंगे. इस बाबत 27 मार्च को मुख्यमंत्री को ईमेल किया जाएगा. आखिर में 10 और 11 अप्रैल को हम नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर दो दिवसीय धरना-प्रदर्शन करेंगे.
गौरतलब है कि राज्य सरकार के कर्मचारी पहले से ही डीए मुद्दे पर ममता सरकार के खिलाफ डिजिटल असहयोग आंदोलन का प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पहले, उन्होंने इस मुद्दे पर एक दिन की हड़ताल और दो दिन की पेन-डाउन हड़ताल की. संयुक्त मंच के प्रवक्ता ने कहा, “इस मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय में हमारी कानूनी लड़ाई जारी रहेगी. लेकिन साथ ही सड़कों पर हमारा आंदोलन कंधे से कंधा मिलाकर जारी रहेगा और इस बार हम आंदोलन को राष्ट्रीय राजधानी तक ले जाएंगे.”
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हालांकि, इससे पहले मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कर्मचारियों के डीए वाले मुद्दे पर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई थी. लेकिन, शीर्ष अदालत ने यह सुनवाई 11 अप्रैल तक के लिए टाल दी. यह पांचवीं बार है जब सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई टाली है.
-भारत एक्सप्रेस
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